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रामायण संपूर्ण मानवता की एक विरासत है: उपराष्‍ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि रामायण जैसा महाकाव्‍य हमें समाज और देश के हित में अपना कर्तव्‍य निभाने की याद दिलाता है। उन्‍होंने सभी लोगों से प्रदूषण नियंत्रण, जल संरक्षण, पर्यावरण का बचाव जैसे  मुद्दों पर नियमित आधार पर एक छोटा कदम उठाने की अपील की ताकि, दुनिया को रहने लायक एक बेहतर जगह बनाई जा सके। उन्‍होंने कहा कि राम राज्‍य आना अभी बाकी है। हमारा छोटा योगदान राम राज्‍य की आदर्श स्थिति लाने में अहम भूमिका निभा सकता है।

     नई दिल्‍ली में आज श्रीराम भारतीय कला केंद्र की नृत्‍य नाटिका ‘श्रीराम’ का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने रामायण महाकाव्‍य को संपूर्ण मानवता की एक विरासत बताया और इस अमर कथा के  संरक्षण, प्रचार-प्रसार और लोगों में इसकी समझ बढ़ाने के लिए प्रयास करने को कहा है। उन्‍होंने कहा कि अनवरत पुन:सृजन के जरिए परंपराओं को संरक्षित किया जाना चाहिए।

     श्री नायडू ने कहा कि रामायण महाकाव्‍य दुनिया, समाज और परिवार के प्रति हमें अपनी भूमिका निभाने की याद दिलाता है। इसके साथ ही यह ग्रंथ एक दूसरे के साथ मानवीय संबंधों सहित धरती माता, प्रकृति, पक्षी और जानवरों के साथ भी हमारे संबंध को दर्शाता है।

     रामायण महाकाव्‍य के उच्‍च मूल्‍यों और इसके मूल तत्‍व के बारे में बताते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि रामलीला भगवान राम के जीवन की घटनाओं को महज याद करने और विभिन्‍न रसों का आनंद लेने का ही साधन नहीं बल्कि लोगों को वह संदेश देने का जरिया है जो भगवान राम और सीता के जीवन से मानवता के लिए परिलक्षित होता है।

     उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्‍तम श्रीराम और योगेश्‍वर कृष्‍ण दो ऐसे नायक हैं जिन्‍होंने शौर्य, सदाचार और आध्‍यात्मिकता के क्षेत्र में वर्षों से मानवता का दिशा-निर्देशन किया है। उन्‍होंने बताया कि भगवान श्रीराम ने धरती पर अपने संपूर्ण जीवन, अपने विचार और कर्मों के जरिए साधुता का मार्ग दिखाया।

     उपराष्‍ट्रपति‍ ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने पूरे मानव समाज को एक साथ जोड़ दिया है और हर कोई इस वैश्विक गांव (ग्‍लोबल विलेज) का नागरिक है। ऐसे में हमें एक दूसरे के साथ, प्रकृति और पर्यावरण के साथ और दुनिया में रह रहे सभी जीवों और वस्‍तुओं के साथ अपना कर्तव्‍य और जिम्‍मेदारियां निभाने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि हमें एक दूसरे के साथ रहने की कला में पारंगत होना होगा और यही हमारे ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम’ के आदर्श की भावना  है। यह एक दूसरे की देखभाल और सब कुछ एक दूसरे के साथ साझा करने के हमारे दर्शन का सार भी है।

     इस मौके पर श्रीराम भारतीय कला केंद्र के अध्‍यक्ष श्री दीपक सिंह, निदेशक श्रीमती शोभा दीपक सिंह और कई जानी मानी हस्तियां मौजूद थीं।

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