18.1 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

रामायण मनुष्य ही नहीं, बल्कि समूचे जीव जगत के कल्याण का भी मार्ग दिखाती: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि रामायण मनुष्य ही नहीं, बल्कि समूचे जीव जगत के कल्याण का भी मार्ग दिखाती है। राम की संस्कृति दुनिया में जहां भी गई, मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती रही। राम का नाम ही मंत्र है, जो जिस रूप में लेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा। जब भगवान श्रीराम ने चाहा तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से वह कार्य सम्भव करा दिया। अब अयोध्या को सजाने-संवारने की जिम्मेदारी हमारी है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद अयोध्या के रामकथा पार्क में 41वें रामायण मेले का शुभारम्भ करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र तथा रामायण मेला समिति के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज ने रामायण मेले पर आधारित पुस्तिका ‘तुलसी दल’ का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विवाह पंचमी से लेकर चार दिवसीय रामायण मेला विगत 40 वर्षों से आयोजित हो रहा है। ऐसे सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन ने जिस ऊर्जा का संचार किया, उसी की परिणीति है कि 500 वर्ष का इंतजार समाप्त हुआ और श्रीराम मन्दिर का निर्माण प्रारम्भ हो चुका है। यह सभी देशवासियों व दुनिया के सनातनधर्मियों के लिए प्रेरणा व गौरव की बात है। इस वर्ष दीपोत्सव में स्वयं प्रधानमंत्री जी आए थे। वैश्विक स्तर पर दीपोत्सव को जैसी मान्यता मिली, वह बरबस ही नई अयोध्या की तरफ ध्यान आकर्षित करता है। दीपोत्सव में थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया, रूस, ताइवान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान समेत कई देशों की रामलीलाओं का मंचन होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2018 में विवाह पंचमी पर उन्होंने जनकपुर, नेपाल में मां जानकी मन्दिर में दर्शन किया था। इससे यह नजदीक से जानने को मिला कि नेपाल व भारत के बीच मां जानकी कैसे सेतु का काम कर रही हैं। उस समय रावण के आतंक से आर्यवर्त के दो माध्यम को जोड़ने का कारक अयोध्या व जनकपुर बने थे, वर्तमान में भारत-नेपाल के सांस्कृतिक सम्बन्धों को जोड़ने के सशक्त माध्यम बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक सम्बन्ध नई ऊंचाइयों को प्राप्त हों, यह दायित्व संतों को लेना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पुरानी स्मृतियों में अयोध्या का उल्लेख मिलता है। गोस्वामी तुलसीदास ने सुन्दर ढंग से अयोध्या व मां सरयू का गान किया है। हम कितनी प्राचीन परम्परा के वारिस हैं किस विरासत के वाहक हैं, फिर भी संकोच करते हैं। 05 वर्षों में आपने भी बदलती अयोध्या को देखा है। दीपोत्सव पर अयोध्या सबसे सुन्दरतम नगरी के रूप में जगमगाती दिखती है। सूर्य वंश की राजधानी के रूप में गौरव को प्रतिस्थापित करती दिखती है। आज नई अयोध्या हमारे सामने है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि रामचरित मानस व अन्य पवित्र ग्रंथों में अयोध्या का महिमा गान जिस रूप में है, उसी रूप में बढ़ाना होगा। अयोध्या के प्रति हम सभी की जिम्मेदारी है। यदि सभी हर कार्य से जुड़ जाएं, तो अयोध्या को सबसे सुन्दरतम नगरी के रूप में स्थापित कर देंगे। यहां एयरपोर्ट बनने जा रहा। सड़कों की कनेक्टिविटी दे रहे। अंदर की सड़कें चौड़ी करेंगे। मठ-मन्दिरों के सुन्दरीकरण व कुण्डों का पुनरुद्धार करेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या का अपना महत्व है। महर्षि वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी शैली व शब्दों से जो चित्रण किया है, वह मनुष्य मात्र के लिए ही नहीं, वरन वह सम्पूर्ण चराचर जगत के कल्याण का मार्ग दिखाता है। हमें भी रामायण मेले से जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयोध्या शोध संस्थान के कार्यों को बढ़ाते हुए रामायण पर नए शोध हों। अयोध्या के विकास के साथ पंचकोसी, 14 कोसी तथा 84 कोसी परिक्रमा के साथ-साथ रामायणकालीन वनस्पति को लगाने से जोड़ेंगे, जिससे परिक्रमा के दौरान लोगों को भगवान के वनवास के उन संघर्षों की यादें ताजा हों, जिन परिस्थितियों का जिक्र रामायण में है। श्रद्धालुओं को बुनियादी सुविधाएं मिलें, इस पर भी कार्य हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दीपोत्सव, विवाह पंचमी पर कैसे कार्यक्रम हों। वैश्विक स्तर पर संगोष्ठी, रामायण पर शोध हों, उस समय के प्रमाण आने प्राप्त होते हैं तो यहां के शोध संस्थान में लाकर छात्रवृत्ति की व्यवस्था को बढ़ाना होगा। कथा व्यास, रामायण मर्मज्ञों की संगोष्ठी करानी चाहिए। मनुष्य के इतर कौन लोग हैं, जो रामायण से जुड़े हैं। जटायु, वानर-भालू भी हैं। सृष्टि व अन्य लोकों से जुड़े देव, यक्ष भी इस भूमि से जुड़े हैं। इन पर मंथन व चिंतन की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या को जल मार्ग से जोड़ने जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि सरयू में जल-यातायात की सुविधा हो और अयोध्या को एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित किया जाए। तीन साल पहले दीपोत्सव के अवसर पर कोरिया की पहली महिला को यहां आमंत्रित किया गया था। कोरिया ने अपनी महारानी के नाम पर यहां क्वीन हो मेमोरियल बनाया। उनका वास्तविक नाम राजकुमारी रत्ना था। 2000 साल पहले अयोध्या की राजकुमारी की वहां के राजा से शादी हुई। कोरिया का किम राजवंश उसी परम्परा को बढ़ाता है। कोरिया अयोध्या से सम्बन्ध जोड़कर गौरव की अनुभूति करता है। मान्यता है कि राजकुमारी रत्ना जलमार्ग से गई थीं। सरयू जी में तब भी वेग था, आज भी वेग है।
इस अवसर पर लोक निर्माण मंत्री श्री जितिन प्रसाद, परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर सिंह, सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र, पुलिस महानिदेशक श्री डी0 एस0 चौहान, जगद्गुरु राघवाचार्य जी महाराज, दिगम्बर अखाड़ा अयोध्या के महंत सुरेश दास जी महाराज, महंत कमलनयन दास जी महाराज, महंत जनमेजयशरण जी महाराज, महंत अवधेश दास जी महाराज, महंत भरत दास जी सहित अन्य संतगण तथा रामायण मेला समिति के पदाधिकारीगण व श्रद्धालुजन उपस्थित थे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More