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रेशम विकास हेतु ठोस व्यवस्था लागू

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: राज्य सरकार ने रेशम विकास हेतु ठोस व्यवस्था लागू की है। रेशम उद्योग के अंतर्गत शहतूत, अर्जुन एवं अरण्डी की खेती, रेशम कीटपालन एवं धागाकरण आदि क्रियाकलाप मुख्य हैं। शहतूती रेशम कीट के मुख्य खाद्य शहतूत की पत्ती, टसर रेशम कीटों का अर्जुन एवं आसन की पत्ती तथा एरी रेशम कीट हेतु अरण्डी की पत्ती है। अतः इस उद्योग हेतु शहतूत, अर्जुन एवं अरण्डी की खेती आवश्यक है। रेशम उद्योग पर्यावरण मित्र उद्योग होने के साथ-साथ श्रमजनित भी है। यह उद्योग ग्रामीण बेरोजगार नवयुवकों को गांवों में ही रोजगार का साधन उपलब्ध कराकर शहरी क्षेत्र की ओर पलायन रोकने में भी सहायक सिद्ध हो रहा है।

यह जानकारी रेशम विकास मंत्री श्री शिव कुमार बेरिया ने दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में रेशम की सुदृढ़ बाजार व्यवस्था उपलब्ध है तथा इस हेतु जनपद वाराणसी के सारंग तालाब स्थित  स्थान पर राजकीय सिल्क एक्सचेंज की स्थापना की गई है। सिल्क एक्सचेंज के माध्यम से गुणवत्ता पूर्ण रेशम धागे के क्रय एवं विक्रय व्यवस्था सुलभ कराई जा रही है।  रेशम उद्योग के अंतर्गत शहतूत, अर्जुन, अरण्डी की खेती को बढ़ावा देते हुए तीनों प्रकार के रेशम उत्पादन से जुड़े क्रिया-कलापों को बढ़ावा दिया जा रहा है। रेशम उत्पादन से जुड़े कार्यक्रमों में रेशम कीट के भोज्य वृक्षों के विकास हेतु पौध उत्पादन, वृक्ष रोपण, पत्ती उत्पादन, चाकी कीट पालन उत्तरावस्था कीटपालन, कोया उत्पादन तथा पोस्ट ककून के  अंतर्गत धागाकरण आदि प्रमुख क्रियाकलाप सम्मिलित हैं।
रेशम विकास मंत्री ने बताया कि विश्व में उत्पादित होने वाले चार प्रकार के व्यवसायिक रेशम की किस्मों में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां चारो प्रकार की रेशम (शहतूती, टसर, अरण्डी तथा मूगां सिल्क) का उत्पादन हो रहा है। मूगां रेशम का उत्पादन पूरे विश्व में मात्र भारत के आसाम राज्य में ही किया जाता है। वर्तमान समय में प्रदेश में तीन प्रकार के यथा शहतूती, टसर एवं अरण्डी रेशम का उत्पादन किया जा रहा है। शहतूती रेशम का उत्पादन प्रदेश के ज्यादातर तराई, पूर्वांचल एवं पश्चिमी क्षेत्र के जनपदों में किया जा रहा है, टसर रेशम का उत्पादन बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्याचल क्षेत्र तथा अरण्डी रेशम का उत्पादन कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, बांदा आदि जनपदों में किया जा रहा है। उन्नाव जनपद में भी एरी रेशम कीट पालन का कार्यक्रम संचालित किया गया है।

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