केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने आज पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग के राजभवन में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का उद्घाटन किया। यह महोत्सव 22 फरवरी से 24 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर दार्जिलिंग के संसद सदस्य श्री राजू बिस्ता भी उपस्थित थे। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, श्री जगदीप धनखड़ 24 फरवरी, 2021 को इस महोत्सव के समापन समारोह में शामिल होंगे। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (आरएसएम) एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जाता है।
इस अवसर पर श्री पटेल ने कहा, “स्थानीय कलाकारों की छिपी हुई प्रतिभा को एक मंच के माध्यम से प्रदर्शित करने की आवश्यकता है और केंद्र सरकार ने हमारे कलाकारों की अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन करने की यह पहल की है।” श्री पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव हमें भारत की विभिन्न कलाओं और संस्कृतियों से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है और अनेकता में एकता का प्रतिनिधित्व करता है जो हमारे देश का प्रतीक है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने युवाओं के लिए संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डाला। श्री पटेल ने ग्रामीण क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों से युवा कलाकारों को उनके लाभ के लिये कैसे इस आयोजन से जोड़ा जा सकता है, इस बारे में भी अपने विचार व्यक्त किये।
दार्जिलिंग में 3-दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत ओडिसी विजन एंड मूवमेंट केंद्र द्वारा की गई नृत्य प्रस्तुति के साथ हुई। इसके बाद डोना गांगुली (ओडिसी), माइकल (सैक्सोफोन), शायनी हैरियट (बैंड) ने अपनी अपनी कला का प्रदर्शन किया।
महोत्सव के दूसरे दिन, शौनक चट्टोपाध्याय द्वारा एक रवीन्द्रसंगीत गायन प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा इस महोत्सव में नीलम डांस मंडली द्वारा एक रचनात्मक नृत्य गायन, डैनियल एंगती के पूर्वोत्तर बैंड तथा कामरान और उनके साथियो द्वारा बैंड की प्रस्तुति भी दी जायेगी। महोत्सव के अंतिम दिन का आयोजन, अनुत्तम बौल द्वारा बैल गीतों के साथ शुरू होगा, इसके बाद संस्कृति श्रेयस्कर द्वारा कथक बैले और एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जायेगी।
सभी दिनों में स्थानीय कलाकारों को राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के मंच पर प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। देश भर से हस्तकला के 20 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें उत्कृष्ट हाथ से तैयार किए गए उत्पादों को भी प्रदर्शित किया गया है।
सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों की सक्रिय भागीदारी के साथ वर्ष 2015 से संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित होने वाला प्रमुख त्योहार राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव भारत की जीवंत संस्कृति को ऑडिटोरिया और कला दीर्घाओं की सीमा से बाहर निकाल कर लोगों के बीच प्रस्तुत करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह अन्य राज्यों में एक विशेष राज्य के लोक और जनजातीय कला, नृत्य, संगीत, व्यंजन और संस्कृति को प्रदर्शित करने में सहायक रहा है, जो “एक भारत श्रेष्ठ भारत” के विशिष्ट लक्ष्य को मजबूत करता है और साथ ही कलाकारों और कारीगरों को उनकी आजीविका का समर्थन करने के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान करता है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के नवंबर, 2015 से अब तक दस संस्करण विभिन्न राज्यों और शहरों जैसे दिल्ली, वाराणसी, बेंगलुरु, तवांग, गुजरात, कर्नाटक, टिहरी और मध्य प्रदेश में आयोजित किए जा चुके हैं।
स्थानीय कलाकारों सहित प्रसिद्ध कलाकार इस प्रमुख उत्सव का एक हिस्सा होंगे। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव-2021 लोक-कला रूपों की एक उपलब्धि को शमिल करेगा और यह स्थापित और उभरते हुए सदाचार में सर्वश्रेष्ठ अनुभव करने का मौका प्रदान करेगा। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव भारत के संदर्भ में लोगों, विशेषकर युवाओं को सदियों पुरानी अपनी स्वदेशी संस्कृति, इसकी बहुआयामी प्रकृति, भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के साथ भारत को राष्ट्र के रूप में फिर से जोड़ देगा।