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रविशंकर प्रसाद ने भारतीय डाक को प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ वाली विचारधारा को साकार करने की दिशा में काम करने के लिए कहा

देश-विदेश

नई दिल्ली: श्री रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय संचार, कानून एवं न्याय और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने भारत के मुख्य पोस्ट-मास्टर जनरलों और वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ वाले दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में काम करें। केंद्रीय मंत्री ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोविड-19 संकट के दौरान डाक विभाग की गतिविधियों और प्रयासों की समीक्षा की। श्री संजय शामराव धोत्रे, संचार राज्य मंत्री, श्री पी.के. बिसोई, संचार सचिव, सुश्री अरुंधति घोष, महानिदेशक, डाक सेवाएं और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मुख्यालय में इस वीडियो कांफ्रेंसिंग में शामिल हुए। सभी मुख्य पोस्ट-मास्टर जनरलों ने अपने संबंधित सर्कल मुख्यालय के द्वारा इस वीडियो कांफ्रेंसिंग में हिस्सा लिया।

इस वीडियो कांफ्रेंसिंग का संचालन सी-डॉट द्वारा विकसित प्रथम “मेक इन इंडिया” वीडियो कांफ्रेंसिंग सॉल्यूशन पर किया गया। इसके अंतर्गत यह वीडियो कांफ्रेंसिंग समाधान के लिए पहला सफल प्रयोग भी था।

भारतीय डाक के द्वारा कोविड-19 से निपटने के लिए किए गए प्रयासों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • पूरे देश में 2,000 टन से ज्यादा दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की बुकिंग की गई और जरूरतमंद लोगों और अस्पतालों में उसका वितरण किया गया।
  • आपूर्ति श्रृंखला को मजबूती प्रदान करने के लिए, प्रतिदिन 25,000 किलोमीटर से ज्यादा सड़क परिवहन नेटवर्क चलाए जा रहे है और 75 टन से ज्यादा मेल और पार्सल ले जाया जा रहा है।
  • इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के द्वारा आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) का उपयोग करते हुए, लगभग 85 लाख लाभार्थियों को उनके घर तक 1,500 करोड़ रूपये पहुंचाए गए।
  • वित्तीय समावेशन वाली विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत, 760 करोड़ रुपये वाली 75 लाख इलेक्ट्रॉनिक मनीऑर्डरों (ईएमओ) का  भुगतान किया गया।
  • लाभार्थियों के खातों में 1,100 करोड़ रुपये का डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) का भुगतान किया गया।
  • लगभग 6 लाख भोजन और राशन के पैकेट, स्व-योगदान और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से मजदूरों, नगरपालिका श्रमिकों आदि में वितरित किए गए।

सीपीएमजी द्वारा डाक कर्मचारियों की समर्पित टीम के माध्यम से किए गए प्रयासों वाली गतिविधियों को साझा किया गया। विभिन्न सर्कलों में विभिन्न गतिविधियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन:

  • गुजरात और उत्तर प्रदेश ने औषध और दवा कंपनी के साथ गठजोड़ करने और लॉजिस्टिक समाधान प्रदान करने का जिम्मेदारी उठाया।
  • बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और तेलंगाना वित्तीय समावेशन वाले अग्रणी राज्य रहे हैं।
  • दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सर्कलों ने देश के उत्तर, पूर्वोत्तर और दक्षिणी राज्यों के लिए प्रवेश द्वार सुनिश्चित करने की दिशा में अच्छा प्रदर्शन किया है।
  • हरियाणा, कर्नाटक, केरल सर्कलों ने जनता से सेवा का अनुरोध प्राप्त करने और उसे पूरा करने के लिए विशिष्ट ऐप विकसित किया है।

सेवा प्रदान करने और क्षेत्रीय विशिष्टताओं को बढ़ावा देने के लिए कुछ अभिनव मॉडल भी सीपीएमजी द्वारा साझा किए गए जैसे कि:

  • जम्मू और कश्मीर ने जल्द ही पूरे देश में माता वैष्णो देवी मंदिर के प्रसाद और कश्मीर के केसर का वितरण करने को अंतिम रूप दिया है।
  • पंजाब द्वारा डाकघरों के माध्यम से और सीएससी के सहयोग से, भारतीय दवाओं की बुकिंग और वितरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • बिहार ने “आपका बैंक आपके द्वार” के लिए, लगभग 11.65 लाख लोगों तक 147 करोड़ रुपये वितरित करके उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

केंद्रीय मंत्री ने संचार विभाग के लिए अपनी सोच को साझा करते हुए सीपीएमजीएस और भारतीय  डाक के वरिष्ठ अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि वे प्रधानमंत्री की विचारधारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ को साकार करने की दिशा में काम करें। उन्होंने विभाग के लिए कोविड-19 के बाद की स्थिति में निम्नलिखित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को स्पष्ट किया:

  • देश के विभिन्न हिस्सों में भारतीय औषधियों के लिए लॉजिस्टिक्स सहायता प्रदान करें जिसमें आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध आदि शामिल हैं।
  • प्रवासियों का डाटाबेस एकत्रित करने, उनके कौशल को निर्धारित करने, उनका खाता खोलने और मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं के अंतर्गत भुगतान की सुविधा प्रदान करने के लिए ‘डाकिया’ को पहला संसाधन बनना चाहिए।
  • भारतीय डाक को रणनीतिक योजना बनानी चाहिए, क्षेत्र से प्राप्त सुझाव के प्रति समर्पित रहना चाहिए, भारतीय आपूर्ति श्रृंखला का एक ध्वजवाहक बनना चाहिए जिसके माध्यम से टेली-मेडिसिन, कृषि उत्पाद, हस्तशिल्प, कारीगर उत्पाद और अन्य स्थानीय विशिष्टताओं को बिचौलिए से बचाते हुए उत्पादनकर्ता से अंतिम उपभोक्ता को जोड़ा जा सके।
  • उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कोविड महामारी के दौरान दवाओं और आवश्यक वस्तुओं का वितरण करने से प्राप्त अनुभवों से, इस मॉडल को बढ़ावा देने के लिए यह एक सुनहरा अवसर बन गया है।
  • मंत्री द्वारा “कोविड योद्धाओं” के रूप में डाक कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की भी सराहना की गई।

कार्यक्रम का समापन करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि आम नागरिक को डाकघर के विशाल नेटवर्क और प्रौद्योगिकी की शक्ति के द्वारा सशक्त बनाने होगा, यानी वित्तीय समावेशन और मजबूत भौतिक आपूर्ति श्रृंखला द्वारा पूरक डिजिटल समावेशन करना होगा।

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