मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने शुक्रवार को अर्थशास्त्रियों का बचाव करते हुए कहा कि उनका मुख्य कार्य संकट की भविष्यवाणी करना नहीं है बल्कि यह बताना है कि लोगों का व्यवहार कैसा है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट का समय रहते अनुमान जताने में अर्थशास्त्री विफल रहे और इसको लेकर उनकी काफी आलोचनाएं हुई. यहां बिजनेस स्कूल के छात्रों को संबोधित करते हुए पटेल ने कहा, अर्थशास्त्रियों का मूल कार्य संकट की भविष्यवाणी करना नहीं है बल्कि यह बताना है कि सामान्य जीवन में लोगों का आचरण कैसा है इसके साथ ही वह परिवेश में बनते संकट के बारे में चेतावनी देते हैं, उससे बचाव की रणनीतियों, संकट कम करने और उन संकटों का समाधान बताते हैं जो वृहद आर्थिक निगरानी में कहीं छूट जाते हैं.’’
उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्री लोक धारणा और चर्चाओं को आकार देने में अहम भूमिका निभाते हैं. साथ ही कंपनी क्षेत्र, केंद्रीय बैंक, सरकार तथा बहुपक्षीय संस्थानाओं में रणनीतिक नीतियां बनाने में उनकी अहम भूमिका है लेकिन प्राय: इसकी चर्चा नहीं होती. पटेल ने कहा, ‘‘नीति निर्माण में हो सकता है, उनका योगदान अपेक्षाकृत सीधे रास्ते न हो. यह शोध के जरिये हो सकता है जो नीतिनिर्माताओं को आर्थिक समस्याओं/चुनौतियों के बारे में नये तरीके से सोचने में मदद करता है.’’
उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष समस्याओं के लिये अर्थशास्त्रियों को दोष देना अनुचित है. डाक्टर बीमारी को समझाता है लेकिन यह भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि व्यक्ति कब बीमार पड़ेगा. पटेल ने मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण को अनिवार्य करने के लिये आरबीआई कानून में संशोधन, दिवाला कानून तथा माल एवं सेवा कर के क्रियान्वयन को लेकर सरकार की सराहना की. उन्होंने कहा कि ये तीनों सुधार आने वाले समय में अर्थव्यवस्था को आकार देगा. इनपुट भाषा से