दुनिया भर में टोक्यो ओलम्पिक की धूम के चलते देश पहले से ही ‘स्पोर्ट्स मोड’ में है। ऐसे में पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) और क्षेत्रीय प्रसार कार्यालय, (आरओबी) चंडीगढ़ ने आज “खेलों में महिलाएं” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, ओलंपियन और भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान डॉ. एम.पी. गणेश और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान, सुश्री अंजुम चोपड़ा, अतिथि वक्ता थे। दोनों वक्ता अपने अपने खेल में पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं।
वेबिनार के दौरान स्वागत भाषण में पत्र सूचना कार्यालय-पीआईबी, चंडीगढ़ में अपर महानिदेशक श्रीमती देवप्रीत सिंह, ने उन महिला खिलाड़ियों की शानदार उपलब्धियों की सराहना की, जिन्होंने रास्ते में आने वाली विभिन्न बाधाओं को पार करके देश को गौरवान्वित किया है।
डॉ. मुलेरा पूवैया गणेश भारतीय टीम के कोच भी रहे थे और उन्हें वर्ष 1973 में अर्जुन पुरस्कार और वर्ष 2020 में पद्म श्री सम्मान से अलंकृत किया गया था। सुश्री अंजुम चोपड़ा एक क्रिकेट विश्लेषक और भारत में टेलीविजन पर पहली महिला स्पोर्ट्स विशेषज्ञ हैं। सुश्री अंजुम की उपलब्धियों के लिए वर्ष 2007 में अर्जुन पुरस्कार और वर्ष 2014 में पद्म श्री सम्मन से अलंकृत किया गया था।
एक दिलचस्प बातचीत में, दर्शकों के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, सुश्री अंजुम ने कहा, “हर किसी को प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है, चाहे वह पुरुष हो या महिला खिलाड़ी। हालांकि, एक पुरुष और एक महिला के लिए, दोनों की दुनिया अलग-अलग होती है। खेल आमतौर पर पुरुषों से जुड़े होते हैं। लेकिन, यह हमारी पीढ़ी ही है जो इस धारणा को बदल देगी।”
यह पूछे जाने पर कि कौन सी भूमिका, यानी, एक शीर्ष क्रिकेटर, एक अभिनेत्री या एक कमेंटेटर ने उन्हें सबसे ज्यादा खुशी दी है? उन्होंने तुरंत उत्तर देते हुए कहा, “भारतीय टीम की ब्लेज़र हासिल करना और पहनना ही मेरी सबसे बड़ी खुशी थी।”
चित्र : वेबिनार के दौरान अतिथि वक्ता डॉ. एम.पी. गणेश और सुश्री अंजुम चोपड़ा
हॉकी के बारे में दिलचस्प चर्चा में डॉ. एम.पी. गणेश ने कहा, ”भारत को अपना खेल खुद खेलने की जरूरत है। खिलाड़ियों के लिए निरंतर दीर्घकालिक खेल रणनीति बनाने के लिए भारत के पास अपने राष्ट्रीय कोच होने चाहिए। भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि विशिष्ट कठिनाई का समाधान निकालने के लिए ही विदेशी प्रशिक्षकों को केवल छोटी अवधि के लिए बुलाया जाना चाहिए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में खेलों को अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे भारत को अधिक से अधिक प्रतिभाओं का पोषण करने में मदद मिलेगी। प्रशासन में खिलाड़ियों की भागीदारी के बारे में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉ. एम. पी. गणेश ने कहा, “खेलों में पारंगत नागरिक प्रशासकों को खेल प्रशासन का दायित्व सौंपा जाना चाहिए और वह भी लम्बी अवधि के लिए।”
पत्र सूचना कार्यालय, चंडीगढ़ के सहायक निदेशक श्री हिमांशु पाठक ने वेबिनार सत्र का संचालन किया। वेबिनार में विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के क्षेत्रीय केंद्रों के प्रशिक्षकों और प्रशिक्षु एथलीटों और क्षेत्र के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने भाग लिया।