जीएसटी परिषद की 42वीं बैठक आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामण की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर के अलावा राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और वित्त मंत्रालय तथा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
जीएसटी परिषद ने निम्नलिखित सिफारिशें की हैं:
1. राजस्व की कमी की पूर्ति के लिए पांच वर्ष की रूपातंरण अवधि से आगे क्षतिपूर्ति उपकर लागू करने की अवधि जून 2022 तक बढ़ाई जाएगी। आने वाले समय में इसकी समीक्षा की जाएगी।
2. केंद्र ने 2020-21 के दौरान राजस्व हानि के हर्जाने के रूप में राज्यों को 20 हजार करोड़ रुपए जारी करने की सिफारिश की है। वहीं 2017-18 के आईजीएसटी के लिए करीब 25 हजार करोड़ रुपए का मुआवजा अगले सप्ताह तक जारी किया जायेगा।
3. रिटर्न फाइलिंग की सुविधाओं में वृद्धि: जीएसटी परिषद ने मार्च 2020 में आयोजित अपनी 39वीं बैठक में, वर्तमान में चल रहे जीएसटीआर-1/3बी योजना में नई रिटर्न प्रणाली की सुविधाओं को शामिल करने के लिए वृद्धि संबंधी दृष्टिकोण रखने की सिफारिश की थी। तब से विभिन्न संवर्द्धन जीएसटी कॉमन पोर्टल पर उपलब्ध कराए गए हैं। व्यापार करने में आसानी को और बढ़ाने तथा स्वीकृति अनुभव को बेहतर बनाने के उद्देश्य से, परिषद ने जीएसटी के तहत रिटर्न फाइलिंग के लिए भविष्य के रोडमैप को मंजूरी दी है। रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने और इस संबंध में करदाता के अनुपालन बोझ को काफी कम करने के लिए अनुमोदित रूपरेखा इस प्रकार है, जैसे कि करदाता और उसके आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जावक आपूर्ति (जीएसटीआर-1) के विवरण को समय पर प्रस्तुत करना- (i) उसे विवरण देखने की अनुमति देकर के भुगतान के लिए नियत तारीख से पहले सभी स्रोतों यानी घरेलू आपूर्ति, आयात और रिवर्स चार्ज इत्यादि से उनके इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट बहीखाता में उपलब्ध आईटीसी की जानकारी, और (ii) सिस्टम को ऑटो-पॉप्युलेट रिटर्न (जीएसटीआर-3बी) के माध्यम से सक्षम बनाता है, जिसमें करदाता और उसके सभी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा दर्ज किया गया डेटा मौजूद हो। दूसरे शब्दों में, अकेले जीएसटीआर-1 स्टेटमेंट को दाखिल करना ही पर्याप्त होगा क्योंकि फॉर्म जीएसटीआर-3बी में वापसी पोर्टल पर स्वतः तैयार हो जाएगी। अंत में जीएसटी परिषद ने निम्नलिखित सिफारिशें / फ़ैसले किए:
ए. त्रैमासिक करदाताओं द्वारा तिमाही जीएसटीआर-1 प्रस्तुत करने की तिथि को जारी महीने के 13वें दिन संशोधित किया जा रहा है। जो 01/01/2021 से लागू होगा;
बी. जीएसटीआर-1 से जीएसटीआर-3बी के ऑटो-जनरेशन के लिए रोडमैप:
i. स्वयं की जीएसटीआर-1 देयता का स्वतः क्रियान्वयन 01/01/2021 से जारी; तथा
ii. मासिक फाइलरों के लिए फॉर्म जीएसटीआर-2बी में नई विकसित सुविधा के माध्यम से आपूर्तिकर्ताओं के जीएसटीआर-1 से इनपुट टैक्स क्रेडिट की स्वचालित प्रक्रिया 01.01.2021 से और त्रैमासिक फाइलरों के लिए 01/04/2021 से।
सी. उपरोक्त के रूप में आईटीसी का स्वतः क्रियान्वयन और जीएसटीआर-3बी में देयता सुनिश्चित करने के लिए, 01/04/2021 से फॉर्म जीएसटीआर-3बी से पहले फॉर्म जीएसटीआर-1 को अनिवार्य रूप से दाखिल करना होगा।
डी. वर्तमान जीएसटीआर-1/3बी रिटर्न फाइलिंग सिस्टम को 31.03.2021 तक बढ़ाया जा सकता है और जीएसटीआर-1/3बी रिटर्न फाइलिंग सिस्टम को डिफॉल्ट रिटर्न फाइलिंग सिस्टम के रूप में संशोधित करने के लिए जीएसटी कानूनों को संशोधित किया जाना है।
4. विशेषकर छोटे कारोबारियों पर अनुपालन बोझ को कम करने की दिशा में एक और कदम के रूप में, कुल वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रूपये से काम होने पर 01/01/2021 से करदाताओं द्वारा मासिक भुगतान के साथ त्रैमासिक आधार पर रिटर्न दाखिल करने की अनुमति की सिफारिश को लागू किया जाना चाहिए। इस तरह के तिमाही करदाता, तिमाही के पहले दो महीनों के लिए, ऑटो जनरेटेड चालान का उपयोग करके अंतिम तिमाही के शुद्ध नकद कर देयता का 35 प्रतिशत भुगतान करने का विकल्प ले सकते हैं।
5. इनवॉइस और फॉर्म जीएसटीआर-1 में सेवाओं के लिए एसएसी और माल के लिए एचएसएन घोषित करने की आवश्यकता 01.04.2021 से होगी जो कि निम्नानुसार है:
ए. एचएसएन/एसएसी, करदाताओं के लिए वस्तुओं और सेवाओं दोनों की आपूर्ति के लिए 6 अंकों पर 6 लाख रुपये से अधिक कुल वार्षिक कारोबार 5 करोड़ रुपये से अधिक होने पर;
बी. एचएसएन/एसएसी, करदाताओं के लिए वस्तुओं और सेवाओं दोनों की बी2बी आपूर्ति के लिए 4 अंकों पर सकल वार्षिक कारोबार 5 करोड़ रुपये तक होने पर;
सी. सभी करदाताओं द्वारा आपूर्ति के अधिसूचित वर्ग पर सरकार को 8 अंकों के एचएसएन को अधिसूचित करने का अधिकार होगा।
6. सीजीएसटी नियमों में संशोधन: सीजीएसटी नियमों और फॉर्म्स में विभिन्न अनुशंसाएं की गई हैं, जिसमें एसएमएस के माध्यम से निल फॉर्म सीएमपी-08 प्रस्तुत करने का प्रावधान शामिल है।
7. दाख़िल करने वाले के पैन और आधार के साथ जुड़े एक वैध बैंक खाते में ही प्रतिदेय भुगतान किया / वितरित किया जाना 01/01/2021 से लागू
8. विशेष रूप से युवा स्टार्ट-अप द्वारा उपग्रहों के घरेलू प्रक्षेपण को प्रोत्साहित करने के लिए इसरो, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड और एनएसआईएल द्वारा आपूर्ति की गई उपग्रह लॉन्च सेवाओं को छूट दी जाएगी।