लखनऊ: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के आदेशानुसार आज 12 नवम्बर को सम्पूर्ण प्रदेश में उच्च न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया। खबर लिखे जाने तक उ0प्र0 के समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों तथा अन्य विभागों से प्राप्त सूचना के अनुसार राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के रिकार्ड 34 लाख से अधिक वादों/प्रकरणों का निस्तारण किया गया। अनेक जनपदों से सूचना आना अवशेष है, अतः निस्तारित वादों की संख्या में और वृद्धि हो सकती है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण उ0प्र0 लखनऊ के सदस्य सचिव श्री प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि समस्त जनपदों के जिला न्यायाधीश, जिला मजिस्ट्रेट, आयुक्त, न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारियों, बैंकिंग एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं आदि के रचनात्मक समन्वय एवं सहयोग से राष्ट्रीय लोक अदालत में सिविल, शमनीय आपराधिक अभियेाग, पारिवारिक मामलों, मोटर दुर्घटना प्रतिकर याचिकाओं, विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत सुलह योग्य वाद, रेलवे दावे, आपदा राहत प्रकरण, कराधान प्रकरण आदि का भी निपटारा आपसी सुलह समझौते के आधार पर कराया गया।
श्री श्रीवास्तव ने बताया कि इस अवसर पर उपस्थित व्यक्तियों को यह भी अवगत कराया गया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित वादों में पारित आदेश का प्रभाव न्यायालय की डिक्री के समान होगा तथा उक्त आदेश/निर्णय के विरूद्ध कोई अपील नहीं होगी एवं अदा की गयी न्याय शुल्क की राशि भी वापस कर दी जायेगी।
श्री श्रीवास्तव ने बताया कि माननीय वरिष्ठ न्यायमूर्ति सर्वोच्च न्यायालय/ कार्यपालक अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार आज 12 नवम्बर को सम्पूर्ण देश में माननीय उच्चतम न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसके सफल आयोजन हेतु समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्ष/जिला न्यायाधीशगण से यह अपेक्षा की गयी थी कि वह पूर्ण मनोयोग के साथ अधिकतम लम्बित वादों, विशेषकर पुराने लम्बित वादों का निस्तारण सुनिश्चित करें, जिससे कि न्यायालयों पर लम्बित वादों के बोझ को कम किया जा सके। इसके अतिरिक्त ऐसे वाद जो अभी न्यायालय के समक्ष नहीं आये हैं उन्हें भी प्री-लिटिगेशन के स्तर पर ही बैंकिंग, बीमा, टेलीफोन, मोबाईल एवं अन्य वित्तीय संस्थानों आदि के सहयोग से निस्तारित कराया गया।