मोबाइल फोन हमारी जिंदगी में हर जगह मौजूद है और हमें पूरी तरह से इसकी लत पड़ चुकी है। इसका उपयोग न केवल बात करने, बल्कि चैट, गेम खेलने, फिल्में देखने, पढ़ने, समाचार फॉलो करने, आदि में भी होता है। हम इसे एक टूल के रूप में जानते हैं जो हमारे संवाद करने के तरीके में क्रांति लेकर आया है। हालांकि, मोबाइल रेडिएशन का मानव स्वास्थ्य पर असर चिंता का विषय है। विश्व के कई डॉक्टर, शोधकर्ता, वैज्ञानिक मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन को कम करने के लिये सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। सेल फोन उत्पादकों के फाइन प्रिंट पर भी चेतावनी होती है।
फोन रेडिएशन से होने वाले कुछ बड़े स्वास्थ्य प्रभावों पर नजर डालते हैंः
– फर्टिलिटी एवं रिप्रोडक्शन – रेडियो फ्रीक्वेंसी में लंबे समय तक रहने से फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव होता है और कई शोधकर्ताओं ने शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और सांद्रता कम होने को रेडियो फ्रीक्वेंसी से जोड़ा ळें
– न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव- बेतार यंत्र का लंबे समय तक उपयोग करने से ब्रेन सेल कम हो सकती हैं और मस्तिष्क के मेमोरी और लर्निंग सेंटर्स में ब्रेन सेल डेथ हो सकती है। सेल फोन के रेडिएशन भी मानवों के मस्तिष्क की गतिविधि को बदलते हैं।
– कॉग्निशन और इम्पेयर्ड मैमोरी- कई शोधपत्र बताते हैं कि वायरलेस सिग्नल कॉग्निटिव क्षमताओं को क्षति पहुँचाते हैं, जैसे सीखना, याद रखना, ध्यान लगाना और प्रतिक्रिया देना।
–श्रवणबाधा- मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से हाई- फ्रीक्वेंसी हियरिंग लॉस और इनर ईयर डैमेज हो सकता है। अध्ययन यह भी बताते हैं कि इससे मस्तिष्क की ऑडिटरी नर्व में ट्यूमर का जोखिम बढ़ जाता है।
हानिकारक रेडिएशन से प्रजनन क्षमता कम हो सकती है, थकान, सिरदर्द और मशीन ब्रेकडाउन, आदि हो सकता है।
शायद आपको पता नहीं हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने रेडियोफ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड्स को मानवों के लिये संभावित कैंसर कारक (ग्रुप 2बी) माना है। इसके अलावा, राजस्थान उच्च न्यायालय ने वर्ष 2012 में मोबाइल टॉवर्स को शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और खेल के मैदानों के पास से हटाने का आदेश दिया था। भारत के उच्चतम न्यायालय ने स्कूलों, अस्पतालों और खेल के मैदानों से सभी सेल टॉवर्स को हटाने के राजस्थान उच्च न्यायालय के वर्ष 2012 के निर्णय का समर्थन किया, क्योंकि रेडिएशन ‘‘जीवन के लिये खतरनाक’’ होते हैं।
इसलिये, खुद को मोबाइल रेडिएशन से सुरक्षित रखने के लिये कुछ सावधानियाँ बरतना महत्वपूर्ण है।
– सेलफोन को अपने शरीर से दूर रखें- सेलफोन को अपने शर्ट की जेब में रखना हानिकारक हो सकता है। इसे पैन्ट की जेब में भी न रखें। सेलफोन को बैग में रखना सबसे अच्छा है।
– लैण्डलाइन फोन का उपयोग करें– यदि आपके पास घर/कार्यस्थल पर लैण्डलाइन हो तो सेलफोन के बजाय उसका उपयोग करने की कोशिश करें।
– जब उपयोग में न हो, तब अपने फोन को बंद कर दें या एयरप्लेन मोड में रखें– यह करना कठिन है, लेकिन असंभव नहीं। जब आपको लगे कि कुछ घंटों के लिये लगातार डाटा कनेक्टिविटी जरूरी नहीं है, तो फोन को स्विच ऑफ कर दें या एयरप्लेन मोड में रखें। यथासंभव यह करें। सोने से पहले भी ऐसा किया जा सकता है।
– वीडियो देखने के लिये अपने बच्चों को फोन देने से पहले खुद वीडियो डाउनलोड करें और फोन को एयरप्लेन मोड में रखें।
– स्पीकर पर बात करें- सेलफोन पर बात करते समय हैण्ड्स- फ्री स्पीकर या ईयरफोन का उपयोग करना बेहतर है। इसे आदत बनाइये। बात करने के बाद ईयरफोन निकाल दें। यदि आप हैण्ड्स- फ्री का उपयोग नहीं करना चाहते हैं, तो फोन को कान से 1-2 से.मी. दूर रखें। ब्लूटूथ का उपयोग न करें।
– यथासंभव टेक्स्ट करें।
– जब फोन चार्ज हो रहा हो, तब उससे बात न करें, क्योंकि चार्जिंग के समय सेलफोन से निकलने वाला रेडिएशन 10 गुना अधिक होता है।
– फोन की बेटरी लो यानी कम होने पर उसका इस्तेमाल करने से बचें- जब आपके फोन की बैटरी लो हो तो उसे एक्सेस न करने की कोशिश करें क्योंकि बैटरी लो होने पर रेडिएशन बढ़ जाता है। सिग्नल लो होने पर भी फोन का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है।
– रेडिएशंस के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने एवं उन्हें शुद्ध करने के लिए उत्पाद एवं सेवायें- कई ऐसे उत्पाद एवं सेवायें हैं जोकि नकारात्मक प्रभावों को प्रभावहीन कर सकते हैं। ऐसी पेशकशों से सावधान रहें जोकि रेडिएशन घटाने का दावा करते हैं। रेडिएशन का इस्तेमाल कुछ मिनट से ज्यादा नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे सरल एवं प्रभावी उत्पादों/विधियों से शुद्ध किया जा सकता है। जैसेकि एनवाइरोचिप।
– यह लेख श्री अजय पोद्दार,
प्रबंध निदेशक, साइनर्जी एनवाइरोनिक्स लिमिटेड