देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में महात्मा गॉंधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद द्वारा वर्क एजुकेशन को विद्यालयी शिक्षा तथा डी.एल.एड. पाठ्यक्रम में सम्मिलित कराने हेतु तैयार की गयी पुस्तिका ‘‘प्रायोगिक शिक्षा गांधीजी की नई तालीम’’ का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने प्रदेश विश्वविद्यालयों, राज्य एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद के संयुक्त प्रयासों से तैयार ‘‘प्रायोगिक शिक्षा गांधीजी की नई तालीम’’ अभियान कार्यक्रम के लिए बधाई दी। शिक्षा, कार्य व अनुभव के माध्यम से बेहतर ढंग से प्राप्त की जा सकती है। भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति, प्रयोग व कार्य-अनुभवों पर आधारित थी। शिक्षा तभी प्रभावी है जब यह कार्य और शिल्प के माध्यम से दी जाए, मात्र किताबी ज्ञान पर्याप्त नही है। संस्कार, शिक्षा के अनिवार्य अंग होने चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि शिक्षा को मात्र व्यवसायिक व रोजगार का माध्यम नही होना चाहिए बल्कि शिक्षक व अभिभावको को शिक्षा के दीर्घकालीन सामाजिक प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक व अभिभावकों के मध्य निरन्तर संवाद आवश्यक है। शिक्षक, अभिभावक, छात्रों के मध्य भी त्रिकोणीय रचनात्मक संवाद होना चाहिए ताकि छात्र-छात्राओं की कमियों को मिलजुल कर दूर किया जा सके।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि महापुरूषों की जयन्ती के अवसर पर स्कूलों में सार्वजनिक अवकाश के स्थान पर समारोह आयोजित कर विद्यार्थियों को महापुरूषों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा को हस्त शिल्प, स्थानीय संस्कृति, कृषि, पर्यावरण संरक्षण, उत्पादक कार्यो, स्वच्छता व नवीन कौशल से जोड़ा जाना चाहिए ताकि छात्र-छात्राएं अधिकाधिक आत्मनिर्भर बने व उनमें सामाजिक दायित्व की भावना विकसित हो।
शिक्षा विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र की पहल पर राज्य भर में नदियों के पुनर्जीवीकरण के अभियान से स्कूली छात्र-छात्राओं को जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री के आह्वाहन पर अपने गांवों में पौधारोपण अभियान के तहत राज्यभर में स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा वृहद स्तर पर पौधरोपण किया गया है।
ज्ञातव्य है कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर प्रदेश विश्वविद्यालयों, राज्य एससीईआरटी और महात्मा गांधी ग्रामीण शिक्षा परिषद के सम्मिलित प्रयासों से तैयार ‘‘प्रायोगिक शिक्षा गांधीजी की नई तालीम’’ अभियान का प्रचार-प्रसार देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में जारी है। गांधी जी की नई तालीम या बुनियादी शिक्षा शरीर, मस्तिष्क और आत्मा के विकास का सम्पूर्ण विचार है, जिसमें किसी उत्पादक, कला, शिल्प या सामुदायिक संलग्नता की गतिविधियों को शिक्षा का केन्द्र बनाया गया है। नई तालीम के अन्तर्गत कार्य शिक्षा एवं प्रायोगिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर फोकस किया जा रहा है। विश्वविद्यालयों के साथ ही केन्द्र व राज्य सरकारों तथा एससीईआरटी के माध्यम से कार्य शिक्षा और प्रायोगिक शिक्षा के क्षेत्रों में स्कूली एवं शिक्षक प्रशिक्षण में विशेष प्रयास चल रहे है। अभियान को स्कूली शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण से जोड़ने के लिए कक्षा 01 से 12 तथा डी.एल.एड. एवं बी.एड. के लिए पाठयक्रम तैयार किया है।