नई दिल्ली: कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा लंबे समय तक घोषित लॉकडाउन और महामारी के कारण उत्पन्न अन्यव्यवधानों के कारण ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952 के तहत कवर होने वाले प्रतिष्ठान कष्ट में हैं और सामान्य रूप से कार्य करने तथा वैधानिक योगदानों का समय पर भुगतान कर पाने में असमर्थ हैं।
लॉकडाउन के दौरान किसी भी अवधि के लिए योगदान या प्रशासनिक शुल्क जमा करने में प्रतिष्ठानों के समक्ष आई कठिनाई को ध्यान में रखते हुएईपीएफओ ने फैसला किया है किपरिचालन या आर्थिक कारणों से होने वाली देरी को दोष नहीं माना जाना चाहिए और इस तरह के विलम्ब के लिए दंडात्मक हर्जाना नहीं वसूला जाना चाहिए।
ईपीएफओ के फील्ड कार्यालयों को जारी दिनांक 15.05.2020 के परिपत्र में इस आशय के निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे मामलों में दंडात्मक हर्जाना वसूली के लिए कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी। यह ईपीएफओ की वेबसाइट के होम पेज पर टैब “कोविड-19” के अंतर्गत उपलब्ध है।
उपर्युक्त कदम ईपीएफ के तहत कवर होने वाले 6.5 लाख प्रतिष्ठानों के लिए मानदंडों के अनुपालन को आसान बनाएगा और उन्हें दंडात्मक हर्जाने के कारण होने वाली देयता से बचाएगा।