20 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

गणतंत्र दिवस परेड-2016 (नई दिल्ली) के अवसर पर पर प्रदर्शित हाने वाली उत्ताखण्ड की झांकी ”रम्माण” का माॅडल

उत्तराखंड
देहरादून: गणतंत्र दिवस परेड-2016 (नई दिल्ली) के अवसर पर उत्तराखण्ड की झांकी लोगो के आकर्षण का केन्द्र रहेगी। रक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 22 दिसम्बर, 2015 को

जारी पत्र के माध्यम से उत्तराखण्ड सरकार को झांकी चयन के संबंध में सूचित किया गया है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा इस बार ‘‘रम्माण’’ को झांकी का रूप दिया गया है। झांकी के नोडल अधिकारी, सहायक निदेशक के.एस.चैहान ने बताया कि रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के स्तर पर प्रथम बैठक 21 अक्टूबर, 2015 को आयोजित की गई थी, जिसमें राज्यों व विभिन्न मंत्रालयों की 52 झांकियों के प्रस्ताव थे। इसके बाद 28 अक्टूबर, 2015, 6 नवम्बर, 2015, 24 नवम्बर, 2015, 2 दिसम्बर, 2015 तथा अंतिम बैठक 14 दिसम्बर, 2015 को आयोजित की गई, जिसमें कुल 15 राज्यों की झांकियों को अंतिम रूप से चयनित किया गया। इनमें उत्तराखण्ड राज्य की झांकी का चयनित होना गौरव की बात है। झांकियों के चयन हेतु रक्षा मंत्रालय के अधीन विशेषज्ञ समिति गठित होती है, समिति में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ होते है।
श्री चैहान ने बताया कि विभाग द्वारा जब झांकी के संबंध में प्रस्ताव तैयार किया गया तो प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा रम्माण को झांकी के रूप में शामिल करने के निर्देश दिये गये थे। इसके बाद भारत सरकार को जागेश्वर धाम, झुमैलो तथा रम्माण विषय पर प्रस्ताव तैयार कर भेजे गये। जिसमें से रम्माण का चयन झांकी हेतु किया गया है। उत्तराखण्ड के चमोली जनपद के सलूड़-डुंग्रा गांव में प्रति वर्ष अप्रैल माह में रम्माण उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव को 2009 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया है। रम्माण का आधार रामायण की मूलकथा है और उत्तराखण्ड की प्रचीन मुखौटा परम्पराओं के साथ जुड़कर रामायण ने स्थानीय रूप ग्रहण किया। रामायण से रम्माण बनी। धीरे-धीरे यह नाम पूरे पखवाड़े तक चलने वाले कार्यक्रम के लिए प्रयुक्त किया जाने लगा।
रम्माण में रामायण के कुछ चुनिंदा प्रसंगों को लोकशैली में प्रस्तुत किया जाता है। रात्रि को भूम्याल देवता के मंदिर प्रांगण में मुखौटे पहन कर नृत्य किया जाता है। ये मुखौटे विभिन्न पौराणिक, ऐतिहासिक तथा काल्पनिक चरित्रों के होते हैं। स्थानीय तौर पर इन मुखौटों को दो रूपों में जाना जाता है। ‘द्यो पत्तर’ तथा ‘ख्यलारी पत्तर’। ‘द्यो पत्तर’ देवता से संबंधित चरित्र और मुखौटे होते हैं और ‘ख्यलारी पत्तर’ मनोरंजक चरित्र और मुखौटे होते हैं। रम्माण विविध कार्यक्रमों, पूजा और अनुष्ठानों की एक श्रृंखला है। इसमें सामूहिक पूजा, देवयात्रा, लोकनाट्य, नृत्य, गायन, प्रहसन, स्वांग, मेला आदि विविध रंगी आयोजन होते हैं। नाना प्रकार के मुखौटों से युक्त इस झांकी के माॅडल के अग्रभाग में नरसिंह देवता को प्रतिबिम्बित करता मुखौटा तथा उत्तराखण्ड के लोकवाद्य भंकोर बजाते हुए कलाकारों एंव झांकी के मध्य भाग में रम्माण नृत्य व पृष्ठ भाग में भूमियाल देवता का मंदिर व हिमालय को दर्शाया गया है। रामायण के इन प्रसंगों की प्रस्तुति के कारण यह सम्पूर्ण आयोजन रम्माण के नाम से जाना जाता है। इन प्रसंगों के साथ बीच बीच में पौराणिक, ऐतिहासिक एवं मिथकीय चरित्रों तथा घटनाओं को मुखौटा नृत्य शैली के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।
झांकी का निर्माण दिनांक 31.12.2015 से नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में किया जायेगा। राज्य गठन के बाद से अब तक कुल 8 झांकियों का प्रदर्शन राजपथ पर किया गया है। जिसमें वर्ष 2003 में फुलदेई, वर्ष 2005 में नंदा राजजात, वर्ष 2006 में फूलों की घाटी, वर्ष 2007 में कार्बेट नेशनल पार्क, वर्ष 2009 में साहसिक पर्यटन, वर्ष 2010 में कुम्भ मेला हरिद्वार, वर्ष 2014 में जड़ी बूटी तथा वर्ष 2015 में केदारनाथ विषय पर झांकी का प्रदर्शन किया गया।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More