नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान तथा नवीनताओं का लाभ किसानों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने वैज्ञानिकों तथा अनुसंधानकर्ताओं से अनुरोध किया कि वे कृषि को और अधिक वहनीय तथा अर्थक्षम बनाने के लिए किसानों के साथ सहयोग करें।
उपराष्ट्रपति ने आज आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के गाँव एस.एन. पालेम में शून्य बजट प्राकृतिक खेती की सफल अवधारणा को कार्यान्वित कर रहे किसानों के साथ बातचीत करते समय कहा कि कृषक सशक्तिकरण एवं कृषि सुदृढ़न से ग्रामीण भारत के विकास में मदद मिलेगी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आंध्र प्रदेश में परीक्षित खेती की तकनीक एक स्थायी कृषि के लिए मॉडल हो सकती है क्योंकि इससे कृषि में भारी निवेश में कमी आती है और उत्पादकता वृद्धि में मदद मिलती है। उन्होंने आगे कहा कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती से उन किसानों की आय और लाभांश में वृद्धि की संभावना है जो प्रायः ऋण के कारण दबे रहते हैं।
उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश के गाँव एस.एन. पालेम के खेतों का दौरा किया तथा खेती की शून्य बजट प्राकृतिक प्रक्रिया के बारे में पूछताछ की। किसानों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि खेती केवल एक व्यवसाय नहीं है, वरन् प्रकृति के साथ लगाव और जीवन यापन तथा खेती के माध्यम से इसके संरक्षण की एक प्रक्रिया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दुगुनी करने की पहल की है तथा इसके सुनिश्चय के लिए कदम उठा रही है। इनमें से कुछ हैं; फसल बीमा, न्यूनतम मूल्य निर्धारण की व्यवस्था तथा मुर्गी पालन, दुग्ध उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण जैसे सहायक कार्यकलापों में निवेश के लिए किसानों को ऋण प्रदान करना। उन्होंने किसानों, अधिकारियों और वैज्ञानिकों दोनों का आह्वान किया कि वे नई प्रौद्योगिकी समझने तथा कृषि में निवेश लागत कम करने के लिए किसानों की सुविधा के लिए संयुक्त प्रयास करें।
उन्होंने कृषि को स्थाई तथा अर्थक्षम बनाने की पहल के बारे में भी बताया तथा देशभर में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय परामर्शों के बारे में भी बताया।