लखनऊः प्रदेश की महिला कल्याण मंत्री प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि बच्चों का स्थान स्कूल, घर और खेल-कूद की जगहों पर हैै। बचपन को वापस नहीं लाया जा सकता है, इसी समय बच्चे के पूरे के जीवन की दिशा तय होती है। इसलिए बच्चों को हर हाल में श्रम से मुक्त कर उनके मौलिक अधिकारोें को उपलब्ध कराना होगा। इसके लिए यद्यपि श्रम विभाग द्वारा उचित कानूनों के तहत कार्य किया जा रहा है पर अन्य विभागों को भी गम्भीरता से कार्य करना होगा। सामूहिक प्रयासों से तथा सामाजिक जागरूकता के साथ ही समाज में व्याप्त हो गयी इस दुव्र्यवस्था को दूर किया जा सकेगा।
प्रो0 जोशी आज सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में गत 12 जून 2018 को बालश्रम निषेध दिवस पर समाचार पत्रों में बालश्रम पर प्रकाशित ख़बरों को संज्ञान में लेकर महिला कल्याण विभाग तथा चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी (सी0डब्ल्यू0सी0) के सदस्यों के साथ समीक्षा बैठक कर रही थीं। बैठक में मंत्री जी द्वारा पूछे जाने पर अवगत कराया गया कि महिला एवं बाल विकास के माध्यम से चाइल्ड लाइन तथा बाल कल्याण समिति द्वारा वर्ष 2017 में कुल 313 तथा वर्ष 2108 में अब तक 11 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया जा चुका है तथा विभाग एवं समिति द्वारा यह अभियान निरन्तरता के साथ जारी है।
बाल कल्याण समिति की सदस्याओं ने बैठक मेें अवगत कराया कि बच्चों को श्रम से मुक्त कराने के लिए श्रम विभाग द्वारा गृह विभाग के सहयोग से रैस्क्यू कैम्पेन चलाया जाता है जिससे बड़े स्तर पर कार्यवाही सम्भव हो पाती है। मंत्री प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि बच्चों को उनका अधिकार दिलाना पूरे समाज की ज़िम्मेदारी है और शीघ्र ही वे श्रम विभाग, गृह विभाग तथा महिला एवं बाल विकास के ज़िम्मेदार अधिकारियों के साथ बैठक करेंगी जिससे बालश्रम रोकने के लिए और कड़े तथा प्रभावी क़दम उठाए जाएं।