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12 मिराज, 16 सुखोई, कई अवाक्स और हवा में ईंधन भरने वाले विमानों की चौकसी के बीच लिया गया पाक से पुलवामा का बदला

देश-विदेश

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में पाकिस्तानी आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी शिविर पर मंगलवार तड़के भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए हमले की योजना बनाने में 200 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा है। भारत में किसी भी स्थान पर दूसरे आत्मघाती हमले के बारे में खुफिया जानकारी मिलने के बाद इस हमले की योजना बनाई गई थी।

सरकार के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले के सिर्फ दो दिन बाद ही खुफिया जानकारी मिली थी कि भारत के किसी भी हिस्से में अन्य आत्मघाती हमला हो सकता है। जानकारी मिली थी कि इस बार का हमला पुलवामा से ज्यादा बड़ा हो सकता है।

जानकारी मिलने के तुरंत बाद सरकार के शीर्ष अधिकारियों, संबंधित मंत्रियों, सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच सिलसिलेवार बैठकें हुईं।

पाकिस्तान समर्थित आतंकी शिविरों पर हवाई हमले करने का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया। इस बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ शामिल थे।

सूत्रों ने बताया कि, “बैठक में आतंकी शिविरों पर हवाई हमले करने का फैसला किया गया, क्योंकि पुलवामा हमले में शहीद सुरक्षाकर्मियों का बदला लेने और भारत में किसी भी हमले की साजिश रचने वाले जैश को तगड़ा झटका देने का यही एकमात्र विकल्प था। हवाई हमले के लिए 200 से ज्यादा घंटों तक योजना बनाई गई, जिसमें सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया।”

सूत्रों का कहना है कि, “पाकिस्तानी इलाके में घुसकर हवाई हमला करने में 16 सुखोई लड़ाकू विमान, 12 से ज्यादा मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के पीछे थे, जिन्होंने नियंत्रण रेखा पार कई आतंकी शिविरों को निशाना बनाया। भारत ने करीब पांच दशकों में पहली बार सीमा पार कर हवाई हमले किए हैं।”

जानकारी के मुताबिक, “मिराज लड़ाकू विमानों ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित सैन्य अड्डे से उड़ान भरी और पंजाब के आदमपुर में मध्य हवा में ईंधन भरने के बाद बालाकोट में आतंकी शिविरों पर धावा बोला।”

दरअसल खुफिया एजेंसियों को यकीन है कि पुलवामा हमले की साजिश बालाकोट आतंकी शिविर में ही बनाई गई थी, जिसका अध्यक्ष जेईएम प्रमुख मसूद अजहर का साला मौलाना यूसुफ अजहर था। बालाकोट नियंत्रण रेखा से काफी दूर है, जो आतंकियों के प्रशिक्षण के लिए एक सुरक्षित स्थान है। और तो और नियंत्रण रेखा पर स्थित भारतीय चौकियों पर कार्रवाई करने वाले पाकिस्तानी सेना की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) को भी बालाकोट में प्रशिक्षण दिया जाता है।

विदेश सचिव विजय के गोखले ने मंगलवार को मीडिया को बताया, “इस अभियान में बड़ी संख्या में जेईएम आतंकी, प्रशिक्षक, शीर्ष कमांडर और फिदायीन हमले के लिए प्रशिक्षण ले रहे जिहादी समूह मारे गए हैं।”

गोखले ने कहा, “भारत ने बालाकोट में जेईएम के सबसे बड़े आतंकी शिविर को निशाना बनाया। पुख्ता जानकारी मिली थी कि जेईएम देश (भारत) के विभिन्न हिस्सों में आत्मघाती हमले का प्रयास कर रहा था और इस मकसद के लिए फिदायीन जिहादियों को प्रशिक्षित किया जा रहा था।”

पाकिस्तान ने स्वीकार किया कि भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में धावा बोला है, लेकिन उसने दावा किया कि जब उसके युद्धक विमानों ने जवाबी कार्रवाई की तो वे लौट गए। Source  नवजीवन

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