देहरादून: जायका, कैम्पा व ग्रीन इंडिया मिशन के तहत तीन वर्षों में सभी वन पंचायतों को कवर करने की कार्ययोजना तैयार की
जाए। राजस्व विभाग वन पंचायतों के चुनावों की प्रक्रिया शुरू करे। वन पंचायतों का स्पष्ट सीमांकन किया जाए। वन विभाग महिला नर्सरियों को सक्रिय बनाए। जो वन पंचायतें जायका व कैम्पा में कवर नहीं हो रही हैं, उन्हें ग्रीन इंडिया मिशन के तहत लिया जाए। मंगलवार को बीजाुपर हाउस में वन पंचायतों के संबंध में बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वन पंचायतों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उŸाराखण्ड एकमात्र ऐसा राज्य है जहां वन पंचायतें हैं। वनों के प्रबंधन व संरक्षण में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन्हें सक्रिय व सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यतः तीन बिंदुओं पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। पहला, मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने, दूसरा जलसंरक्षण व तीसरा मिश्रित वनों के लिए नर्सरियों को विकसित करना। इसके अतिरिक्त चारागाह विकास पर भी फोकस किया जाए। महिला नर्सरियों को आधुनिक बनाया जाए और इन्हें कार्यरूप में लाया जाए। जिन वन पंचायतों को तत्काल सहायता की जरूरत हैं उन्हें प्राथमिकता से चिन्हित किया जाए। जो वन पंचायतें जायका या कैम्पा में नहीं हैं उन्हें ग्रीन इंडिया मिशन के तहत लिया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वन विभाग यदि वन पंचायतों पर ठीक से काम करे तो बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। माणा, नीति, दारमा, जुहार, व्यास, चमोली जिले में बाण क्षेत्र को एग्रोक्लाईमेटिक जोन में बांट कर स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप वृक्षारोपण किया जाए। वृक्षारोपण की पारम्परिक अवधारणा से बाहर निकलने की जरूरत है। तिमरू, तेजपत्ता, अचारोट, थुनेर आदि वृक्षों को महत्व दिया जाए। बताया गया कि उŸाराखण्ड में 12089 वन पंचायतें हैं जिनके अंतर्गत 5.45 लाख हैक्टेयर वन क्षेत्र आता है। वन पंचायतों को वानिकी कार्य के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में स्वीकृति दी गई है।