देहरादून: आंगनवाड़ी में बच्चों व गर्भवती महिलाओं को टेट्रापैक दूध उपलब्ध कराने हेतु योजना तैयार की जाए। गंगा गाय महिला डेरी योजना व दूध में बोनस योजना का लाभ दूर दराज के पहाडी़े किसानों तक पहुँचाने हेतु इन योजनाओं का प्रचार प्रसार किया जाए। योजनाएं इस प्रकार बनायी जाएं कि पहाड़ का किसान भी लाभान्वित हो सके। इसके लिये मिनी डेरी कन्सेप्ट को अपनाया जाए, ताकि हमारे राज्य के ऐसे क्षेत्र भी इसमें शामिल हो सकें जहाँ दूध का उत्पादन कम हो रहा है। इसके साथ ही पशुओं हेतु चारे के उत्पादन पर भी ध्यान दिया जाए, ताकि चारे की कमी वाले क्षेत्र भी इसका लाभ उठा सकें।
गुरूवार को बीजापुर अतिथिगृह में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गयी गंगा गाय महिला डेरी योजना व दूध में बोनस के सफल संचालन के कारण राज्य के 5 दुग्ध संघ, जो अब तक घाटे में चल रहे थे, अब लाभ में चल रहे हैं। इस स्तर को आगे भी बनाए रखने के लिये व और अधिक बढ़ाने हेतु प्रयास किये जाए।ं उन्होंने कहा कि राज्य में दुग्ध विकास हेतु दुग्ध उत्पादन व दुग्ध उत्पादक दोनों को बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसके लिये समावेशी योजनाएं तैयार की जाएं। दुग्ध संघों को चारा उत्पादन से भी जोड़ा जा सकता है। यदि कोई चारा उत्पादन के लिये तैयार होता है तो सरकार जमीन लीज पर देने पर विचार कर सकती है। राज्य के दूर दराज के गाँवों में इन योजनाओं का लाभ पहुँचाने हेतु विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि पलायन की समस्या का भी हल निकल सके।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु ड्राइंग मशीन व पनीर मेकिंग मशीन उपलब्ध करायी जाए। मिनी डेरी के कन्सेप्ट को भी बढ़ावा दिया जाए। 5 गायों वाले (3 गाय व 2 बछड़े) छोटे डेरी फार्मों हेतु योजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि इनसे उत्पादित दूध के टेट्रा पैक की पैकेजिंग हेतु योजना तैयार कर इसके लिये संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इन संयंत्रों द्वारा तैयार उत्पादों को राज्य के आंगनवाड़ी केन्द्रों के बच्चों हेतु व गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने हेतु दूध उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिये योजना तैयार की जाए।