देहरादून: राजपुर रोड स्थित मंथन सभागार में वन मंत्री दिनेश अग्रवाल द्वारा वन विभाग की समीक्षा तथा वनाग्नि से प्रभावित हुए वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा से सम्बन्धित प्रभावधानों पर चर्चा करते हुए विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
उन्होने सभी कन्जर्वेटर, वार्डन तथा प्रभागीय वनाधिकारियों को वनाग्नि से प्रभावित हुए वनक्षेत्र व वन्यजीवों के साथ कैम्पा तथा अन्य मदों से जल संरक्षण, चारागाह विकास, हमारा स्कूल हमारा वृक्ष, मानव वन्यजीव संघर्ष रोकथाम इत्यादि योजनाओं में जारी की गयी धनराशि से किये गये समस्त कार्यों का विस्तृत विवरण देने के निर्देश दिये। उन्होने विभागीय अधिकारियों को वनाग्नि को रोकने तथा वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा हेतु व्यावहारिक योजना बनाकर उसे धरातल पर उतारकर व वन पंचायतों को वन संरक्षण हेतु प्रेरित करने के साथ ही उसकी प्रत्येक स्तर पर समय-समय पर माॅनिटिरिंग व समीक्षा करने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में आग लगने का प्रमुख कारक चीड़ है जिसके उन्मूलन हेतु पूर्व में ही केन्द्र सरकार से अनुमति प्रस्ताव प्रेषित किया गया था, जो अभी तक लम्बित है। बैठक में अधिकारियों ने अवगत कराया कि प्रदेश में दावानल से 4 हजार हैक्ट्यर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
मा वन मंत्री ने वन विभाग के कर्मचारियों के सेवा अभिलेख व प्रशासनिक प्रबन्धन तथा निजी भूमि से वृक्ष कटान की अनुमति हेतु आनलाईन प्रावधान हेतु ई-एचआरएमएस तथा आनलाईन ट्री फिलिंग परमिशन अप्लीकेशन के साथ उत्तराखण्ड फारेस्ट भवन पोर्टल वेबसाईट भी लांच की गयी, जिसके माध्यम से वनाग्नि भूस्खलन, बंजर भूमि, जी.पी.एस के माध्यम से जानकारी प्राप्त की सकेगी।