ट्रेडिंग सेशन में रुपया गुरुवार के रिकॉर्ड निचले स्तरों से तो उबरता हुआ दिखा लेकिन अब भी दबाव बरकरार है. शुक्रवार को रुपया 33 पैसे मजबूत होकर 68.46 पर बंद हुआ. रिजर्व बैंक की ओर से हस्तक्षेप के बाद रुपये को मजबूती मिल रही है. हालांकि अभी रुपये पर संकट टला नहीं है. तेल की कीमतों में बढ़ोतरी में कमी के आसार नहीं दिख रहे हैं. साथ ही राजकोषीय घाटे को कम करने में अड़चनें बरकरार है. फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरें बढ़ाने के बाद से विदेशी निवेशकों की ओर से यहां से पैसा निकालने की बढ़ी रफ्तार कम नहीं हुई है.
गुरुवार को रुपये ने 69 रुपए प्रति डॉलर का ऑल टाइम लो पार कर लिया था, जिसके बाद 68.79/$ पर बंद हुआ था. ये भी अगस्त 2018 के बाद का सबसे निचला लेवल था.
इससे पहले बुधवार को रुपये ने 19 महीने का सबसे निचला स्तर छुआ था.
लेकिन इस गिरावट पर ब्रेक लगाते हुए शुक्रवार सुबह रुपया 9 पैसे की बढ़त के साथ खुला और कुछ देर में ही 68.70 रुपये तक की मजबूती हासिल कर के 68.47 पैसे पर बंद हुआ.
हालांकि इस बढ़त को कुछ राहत माना जा सकता है लेकिन अभी भी रुपये पर दबाव बरकरार है.
ये हैं रुपए पर दबाव के कारण
- ग्लोबल बाजार में ट्रेड वॉर का डर
- तेल के बढ़े दाम
- ज्यादातर एशियन करंसी में दबाव
- मजबूत होता डॉलर
- FIIs की बिकवाली
गिरते रुपये का रिकॉर्ड स्तर पार करते ही कांग्रेस ने सरकार से सवाल किए हैं. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मोदी के पुराने वादों पर कटाक्ष करते हुए लिखा – भाजपा वाले ‘अच्छे दिनों’ का इंतज़ार है, जब अमेरिकी डॉलर की कीमत – एक डॉलर = 40 रुपया होगी!
भाजपा वाले 'अच्छे दिनों' का इंतज़ार है, जब अमेरिकी डॉलर की कीमत – एक डॉलर = 40 रुपया होगी!
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) June 29, 2018
वहीं दूसरी तरफ वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि रुपये के गिरने पर सरकार किसी तरह का कोई सख्त कदम नहीं उठाने जा रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि जनता को भी इससे परेशान होने की ज्यादा जरूरत नहीं है. the quint