नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने बच्चों से जाति, संप्रदाय तथा धर्म के बंटवारे से ऊपर उठकर वसुधैव कुटुम्बकम के भारतीय दर्शन के अनुरूप सहभागिता और सेवा के गुणों को अपनाने को कहा। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे प्रत्येक व्यक्ति के साथ आदर और मानवता का व्यवहार करें।
श्री वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति भवन में आज बाल दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा पड़ोसी राज्यों से आये अनेक सरकारी और निजी स्कूलों के बच्चों से संवाद कर रहे थे।
बच्चों के प्रति पंडित नेहरू के लगाव की चर्चा करते हुए श्री नायडू ने कहा कि नेहरू जी हमेशा चाहते थे कि बच्चे आनंद और उमंग से रहें।
विद्यार्थियों को महान स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन से प्रेरणा लेने की सलाह देते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से देश हित को सभी बातों से ऊपर रखकर सच्चा राष्ट्रवादी बनने का आग्रह किया।
श्री नायडू ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली को आदर्श और उत्तरदायी नागरिक बनाना होगा। उन्होंने बच्चों से भारतीय मूल्यों को अपनाने तथा भारत की महान विरासत, संस्कृति और परंपराओं को समझने और सम्मान देने को कहा।
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा के अनिवार्य हिस्से के रूप में खेलकूद को रखने का आह्वान किया, विशेषकर प्राइमरी तथा अपर-प्राइमरी स्तरों पर। उन्होंने कहा कि खेलकूद से न केवल अच्छा स्वास्थ सुनिश्चित होता है बल्कि टीम भावन अपनाने में मदद मिलती है।
उन्होंने बच्चों को योग शिक्षा देने और उन्हें एनएसएस, एनसीसी तथा स्काउट्स और गाईड्स जैसी स्वयंसेवी गतिविधियों में भाग लेने को प्रोत्साहित करने पर बल दिया।
उपराष्ट्रपति ने बच्चों से प्रकृति की गोद में समय गुजारने की सलाह देते हुए कहा कि वे पर्यावण संरक्षण में सक्रिय सहभागी बनें। उन्होंने बच्चों से स्व्च्छ भारत, फिट इंडिया जैसे राष्ट्रीय मिशनों में सक्रिय सहभागी बनने और एकल उपयोग प्लास्टिक की समाप्ति के लिए काम करने का कहा।
उन्होंने कहा कि बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति और संस्कृति दोनों साथ होती हैं। उन्होंने बच्चों से सम्मानपूर्वक अपनी माता, मातृभाषा, मातृभूमि, जन्मभूमि और गुरू को याद करने को कहा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण विकास की आवश्यक शर्त है। उन्होंने महिला शिक्षा को प्राथमिकता वाला मिशन बताते हुए कहा कि विकास के लिए देश की महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने के विषय में किसी तरह का समझौता नही किया जा सकता। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में योगदान के लिए महिलाओं को बराबरी का मंच दिया जाना चाहिए।
इससे पहले उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों तथा परदादा-परदादी, एजुकेशनल सोसाइटी (पीपीईएस) के पदाधिकारियों से बातचीत की। उन्होंने पीपीईएस द्वारा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में महिला शिक्षा तथा सशक्तिकरण में किए जा रहे योगदान की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने पीपीईएस के संस्थापक श्री विरेन्द्र (सैम) सिंह की सराहना की। श्री विरेन्द्र (सैम) सिंह मानवता के क्षेत्र में सेवा के लिए याद किए जाते हैं और वह डुपॉन्ट के दक्षिण एशिया के सीईओ रहे।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने अपनी पत्नी श्री एम ऊषा तथा पोता-पोती के साथ पंडित जवाहर लाल नेहरू को पुष्पांजलि अर्पित की।