नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों में होड़ लगी हुई है, जिसमें जनता तक पहुंच बनाने के लिए राजनीतिक दल कई रास्ते अपनाने में काफी धन भी खर्च कर रहे हैं। पहले की तरह इस बार फिर से पार्टियों की इन्हीं गतिविधियों की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने हेतु सूचना के अधिकार के दायरे में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
देश में राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने की मांग का माकला फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष कोर्ट में याचिका दाखिल कर राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लागे की मांग की गई है। कोर्ट में सभी पंजीकृत और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार कानून के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करने के निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका दायर की गई है। यह याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि जन प्रतिनिधि कानून की धारा 29सी के अनुसार राजनीतिक दलों को मिलने वाले दान की जानकारी भारत के निर्वाचन आयोग को दी जानी चाहिए। यह दायित्व उनकी सार्वजनिक प्रकृति की ओर इंगित करता है। इसमें कहा गया है, अत: यह अदालत घोषित कर सकती है कि राजनीतिक दल आरटीआई कानून, 2005 की धारा 2(एच) के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण है। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न आवंटित करने और आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन में उन्हें निलंबित करने या वापस लेने की भारत के निर्वाचन आयोग की शक्ति उनकी सार्वजनिक प्रकृति की ओर इंगित करता है। याचिका में ये निर्देश देने की भी मांग की गई है कि सभी पंजीकृत और मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां चार सप्ताह के भीतर जन सूचना अधिकारी, सक्षम प्राधिकरण नियुक्त करें और आरटीआई कानून, 2005 के तहत सूचनाओं का खुलासा करें। Source UPUK Live