16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

मा0 सुप्रीम कोर्ट के से0नि0 न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा समीक्षा बैठक सम्पन्न

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: माननीय सुप्रीम कोर्ट कमेटी आफ रोड सेफ्टी के चेयरमैन मा0 न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे (से0नि0) की अध्यक्षता में आज परिवहन निगम के सभागार कक्ष में परिवहन विभाग एवं स्टेक होल्डर्स विभाग के अधिकारियों के साथ सड़क सुरक्षा को लेकर एक समीक्षा बैठक हुई। इस अवसर पर माननीय न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे (से0नि0) ने कहा कि हम आज इस बात पर चर्चा करने के लिए इस सभागार में एकत्र हुए हैं कि प्रदेश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों को कैसे बचाया जाय। सड़क सुरक्षा वर्तमान में अत्यन्त गम्भीर चिन्ता का विषय बन गया है।
मा0 न्यायाधीश महोदय ने पुलिस विभाग एवं परिवहन विभाग को निर्देश दिये कि मिलकर कार्य योजना बनाये। लोगों को जागरूक करें। सड़क सुरक्षा नियमांे का पालन सख्ती से करायें। साथ ही प्रत्येक स्टेक होल्डर विभाग अपनी-अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करंे। ओवर स्पीडिंग दुर्घटना का एक महत्वपूर्ण कारण है जिसकी वजह से लोगों की जान जाती है। इस पर हर हाल में अंकुश लगाये। साथ ही वाच करें कि लोग ड्रिंकेन ड्राइविंग, गलत लेन चलना, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल इत्यादि से बचें। लोगों की जान बचाना हमारा सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा कि इसके लिए केवल जन-जागरूकता से बात नहीं बनेगी। उनके द्वारा मुख्यतः प्रभावी प्रवर्तन, रोड इंजीनियरिंग तथा इमरजेंसी केयर के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ किये जाने पर बल दिया जाय। हेल्मेट को अनिवार्य रूप से पहनना सुनिश्चित किये जाने हेतु शिक्षा विभाग के सहयोग से समस्त विद्यालयों में छात्रों एवं शिक्षकों को तथा समस्त सरकारी/अर्द्धसरकारी एवं निजी संस्थानों में समस्त कर्मचारियों को बिना हेल्मेट धारण किये परिसर में प्रवेश निषिद्ध किये जाने का सुझाव दिया। साथ ही पेट्रोल पम्प पर बिना हेलमेट पेट्रोल न दिया जाए। इसी तरह सड़कांे पर निजी वाहनों के दबाव को कम किये जाने हेतु यह भी सुझाव दिया कि सभी सरकारी/अर्द्धसरकारी कार्यालयों, निजी संस्थानों, समस्त विद्यालयों में सार्वजनिक वाहन के माध्यम से ही कार्यालयाध्यक्ष से लेकर समस्त कर्मचारियों तथा प्रिंसिपल, शिक्षक से लेकर समस्त विद्यार्थियों को आना जाना अनिवार्य बनाया जाये।
मा0 न्यायाधीश ने कहा कि हादसे दो प्रकार से होते है – एक तो जिसमें हमे घटना का पूर्वज्ञान नहीं होता, दूसरा-घटना का पहले से ज्ञान तो है, परन्तु हम जागरूक नहीं है। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा का सम्बन्ध इसी पहलू से है। हमें ऐसे लोगों को जागरूक करना है, जो यह जानते हैं कि बिना हेलमेट, बिना सीटवेल्ट, ड्रिंकेन ड्राइविंग, गलत लेन में गाड़ी चलाने पर मृत्यु हो सकती है फिर भी ऐसा करते है। यह हमारे आप के लिए बहुत अधिक चैलेजिंग है।
मा0 न्यायाधीश ने कहा कि सड़क सुरक्षा के मामले में यातायात पुलिस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। नियमों का इम्प्लीमेंटेशन एवं इनफोर्समेंट पुलिस को ही कराना होता है क्योंकि माननीय सुप्रीम कोर्ट या सरकार केवल नियम बना सकती है। लोगों से नियमों का अनुपालन तो पुलिस को ही कराना है। साथ ही एनएचएआई, पीडब्लूडी, स्टेट हाइवे अथारिटी की भी उतनी ही भूमिका है। ब्लैक स्पाॅट का चिन्हांकन, रोड सेफ्टी के साइन बोर्ड लगाना इन्हीं की जिम्मेदारी है। इसके पश्चात परिवहन विभाग की जिम्मेदारी आती है। लाइसेंस रद्द करना, गाड़ी की फिटनेस जाॅच करना परिवहन विभाग का काम है। जागरूकता अन्तिम विषय है, लोगों को जागरूक करना हम सभी की जिम्मेदारी है। पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा विषय को शामिल करने से बचपन से नवयुवकों को इसकी आदत पड़ेगी, आगे चलकर इसका लाभ समाज को मिलेगा।
मा0 न्यायाधीश महोदय ने कहा कि हम सब अपनी-अपनी भूमिका का सम्यक निर्वहन करें तो भी सड़क दुर्घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आयेगी। हम सभी को गुड सेमेेटेरियन बनने की जरूरत है। सड़क पार करते असहाय की मदद हम सभी को करनी चाहिए। हम यदि लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाये तो भगवान हम सबकी रक्षा करेगा। विश्वास कीजिए जिस दिन आप किसी की मदद करते हैं, तो उस दिन आपको सन्तोष अवश्य मिलता है। सड़क दुर्घटना में अपंग होने वाला व्यक्ति खुद तो पीड़ित होता है साथ ही पूरा परिवार परेशानी में आ जाता है।
मा0 न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की वास्तविकता हमें स्वीकार करनी होगी। पूरे विश्व में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में भारत का प्रथम स्थान है। उसमें यूपी पूरे देश में पहला स्थान रखता है। एक आॅकड़े के अनुसार यूपी में प्रतिवर्ष लगभग 20 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते है।। जब कि भारतवर्ष में लगभग 1.5 लाख लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाते हैं। अगर विश्व में अन्य देशों पर फोकस करें तो यह आंकड़ा बहुत कम है। अमेरिका में 37 हजार जर्मनी में 03 हजार, जापान में 04 हजार, चीन में 16 सौ सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु होती है, जो कि भारत की तुलना में बहुत कम है।
मा0 न्यायाधीश सप्रे ने कहा कि ऐक्सीडेंट्स की तुलना में कैजुअलिटी देखें तो यह आंकड़ा आश्चर्यजनक है। जापान में प्रतिवर्ष 4.99 लाख ऐक्सीडेंट्स होते हैं और मृत्यु केवल 4000, जर्मनी में 3.08 लाख ऐक्सीडेंट्स मंे से 3000 हजार मृत्यु, चीन में 3.61 लाख ऐक्सीडेंट्स 1600 मृत्यु, अमेरिका में 22 लाख ऐक्सीडेंटस में से 37 हजार मृत्यु होती है। जबकि भारत में 4.80 लाख ऐक्सीडंेंट्स में से लगभग 1.50 लाख मृत्यु हो जाती है। उन्होंने कहा कि यदि हम लोगों को जागरूक करें, नियमों का पालन करें एवं करायें तो हम जापान की श्रेणी में आ सकते हैं।
समीक्षा बैठक के दौरान प्रमुख सचिव परिवहन श्री वेंकेटेश्वर लू, एडीजी यातायात निदेशालय तथा सड़क सुरक्षा श्रीमती अनुपम कुलश्रेष्ठ, प्रबंध निदेशक परिवहन निगम श्री संजय कुमार, परिवहन आयुक्त श्री चंद्रभूषण सिंह सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More