लखनऊ: प्रदेश सरकार सड़क दुर्घटनाओं, इनमें घायलों एवं मरने वालों की संख्या में कमी लाने के लिए सड़क सुरक्षा पर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। ताकि बहुमूल्य मानव जीवन, आर्थिक क्षति एवं स्वास्थ्य को बचाया जा सके।
इसी क्रम में आज यातायात निदेशालय, लखनऊ में सड़क सुरक्षा प्रोफार्मा के 19 बिन्दुओं पर सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों पर विस्तृत चर्चा की गयी।
सेमिनार में अपर पुलिस महानिदेशक (यातायात) श्री अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश सरकार सड़क दुर्घटनाओं को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसमें राज्य सड़क सुरक्षा नीति-2014 बनायी है। इसके साथ मुख्य मंत्री की अध्यक्षता में राज्य सड़क सुरक्षा परिषद तथा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी एवं राज्य सड़क सुरक्षा कोष का गठन किया गया है तथा परिवहन आयुक्त की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा सेल बनाया गया है।
यातायात निदेशक ने बताया कि राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा सूचना तंत्र को और अधिक मजबूत किया जा रहा है। ताकि सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को तत्काल चिकित्सा सुविधायें एवं प्रभावी ट्रामा केयर मिल सके, इसके साथ लोगों को अन्य परेशानियों का सामना न करना पड़े। उन्होंने बताया कि 75 जिलों में से 74 जनपदों में 1252 दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र चिन्हित किये गये हैं।
केन्द्र सरकार से आये हुए प्रतिनिधियों ने बताया कि केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों, केन्द्रशासित प्रदेशों से सड़क सुरक्षा पर प्रभावी कार्य योजना बनाने की नीति पर कार्य करने को कहा है। ताकि वर्ष 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सके। सेमिनार के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के लिए ड्राइवर, सड़कों की खराबी, वाहन की खराबी तथा वातावरण के साथ उपयुक्त टैªफिक सिग्नल का न होना, अधिक गति, ओवर लोडिंग, वाहन चालक द्वारा उपयुक्त सिग्नल न देना तथा सड़क के नियमों के प्रति जन-जागरूकता की कमी के कारण सड़क दुर्घटनायें अधिक हो रही हैं।
सेमिनार में केन्द्र सरकार से परिवहन विभाग के श्री ओ0पी0 सेमर, श्री रंजन मुखर्जी, श्री आशीष कुमार के साथ स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग तथा अपर पुलिस अधीक्षक (यातायात) श्रीमती सुनीता सिंह व श्री राकेश पुष्कर के साथ परिवहन विभाग के उच्च अधिकारी उपस्थित थे।