पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे. मुखर्जी को 7 जून को नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में होने वाले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है.
आरएसएस के शिक्षा विभाग के इस कार्यक्रम में 45 साल से कम आयु के 800 से ज्यादा कार्यकर्ताओं के 25 दिन से चल रहे कैंप का समापन पूर्व राष्ट्रपति करेंगे.
प्रणब मुखर्जी और सरसंघचालक मोहन भागवत इस कैंप को संबोधित करेंगे.
संघ ने वरिष्ठ नेता के मुताबिक ऐसे कार्यक्रम में सार्वजनिक जीवन में उल्लेखनीय उपलब्धि वाली जानी-मानी हस्तियों को बुलाने की परंपरा रही है. आरएसएस ने पूर्व राष्ट्रपति को आमंत्रण दिया और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया.
आरएसएस मुख्यालय नागपुर में हर साल इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा के मुताबिक, मुखर्जी का संघ मुख्यालय में पहुंचने से पूरे देश को संदेश जाएगा कि अलग अलग विचार रखने वाले लोगों के बीच भी बातचीत के दरवाजे हमेशा खुले रहने चाहिए. आरएसएस के हिंदुत्व पर सवाल उठाने वालों को इस निमंत्रण को मंजूर करने से जवाब मिला है.
Former Pres Pranab Mukherjee acceptance to attend RSS event in Nagpur sends a message to the country that on vital issues there should be dialogue&adversaries are not enemies. Questions raised on RSS-Hindutva is being answered by his acceptance of invitation: Rakesh Sinha, RSS pic.twitter.com/9PS0i2CQ7d
— ANI (@ANI) May 28, 2018
प्रणब मुखर्जी और भागवत के अच्छे रिश्ते!
माना जाता है कि प्रणब मुखर्जी और मोहन भागवत के बीच दोस्ताना रिश्ते रहे हैं. जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे, तब संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई बार राष्ट्रपति भवन में उनसे मुलाकात की थी.
मुखर्जी का संघ के कार्यक्रम में जाना इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है, क्योंकि वो अपने पूरे राजनीतिक करियर के दौरान कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे. कांग्रेस सरकार में वो वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री समेत कई महत्वपूर्ण पद पर भी रहे. यूपीए सरकार के कार्यकाल में ही कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था.
इन दिनों आरएसएस के हिंदुत्व नजरिए और दूसरे समुदायों के बीच बढ़ रही असुरक्षा को देखते हुए सबकी नजर इस बात पर है कि संघ के इस कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति क्या संदेश देते हैं.
कांग्रेस और मौजूदा मोदी सरकार के बीच रिश्ते बेहद खराब होने की वजह से भी मुखर्जी का संघ के कार्यक्रम में जाना बेहद अहम माना जा रहा है.
द क्विंट