लखनऊ: 8 साल की उम्र बच्चों के खेलकूद की उम्र होती है पर साल 2010 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल की राजाजीपुरम शाखा की कक्षा 3 की छात्रा ऐश्वर्या पाराशर ने महज 8 साल की उम्र में अपनी पेंसिल और अपनी नोटबुक का प्रयोग आरटीआई लिखने के लिए किया और अपने स्कूल के सामने से कूड़ाघर हटवाकर उसकी जगह एक पब्लिक लाइब्रेरी बनबा दी l आरटीआई के इस सफल प्रयोग से देश भर में ‘आरटीआई गर्ल’ के नाम से चर्चित हुई ऐश्वर्या को उस समय देश के एक अग्रणी इलेक्ट्रॉनिक चैनल ने ‘सिटीजन जर्नलिस्ट’ का राष्ट्रीय पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया था l
उसके बाद ऐश्वर्या ने आरटीआई का प्रयोग अपनी सामान्य जिज्ञासाएं शांत करने के लिए किया l इस दौरान ऐश्वर्या की आरटीआई से ऐसे-ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए कि वर्षों से सामान्य ज्ञान में पढ़ाई जाने वाली बातें मात्र मिथक बनकर रह गईं l बापू आधिकारिक राष्ट्रपिता नहीं ;हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल नहीं; 26 जनवरी,15 अगस्त,2 अक्टूबर आधिकारिक राष्ट्रीय अवकाश नहीं जैसे आरटीआई खुलासों के आधार पर भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय में सामान्य ज्ञान के अनेकों सबालों को पाठ्यपुस्तकों में संशोधन की मुहिम चला रही ऐश्वर्या अब 15 साल की हो चुकीं हैं और कक्षा 11 में जीव विज्ञान की छात्रा हैं l
डॉक्टर बनकर प्राणियों की सेवा करने के ध्येय के साथ अभी अपनी अर्धवार्षिक परीक्षाएं दे रही ऐश्वर्या को बीते 16 सितम्बर को देश की राजधानी दिल्ली के गांधी पीस फाउंडेशन में RTI इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा सूचना के अधिकार के क्षेत्र में ऐश्वर्या के महान योगदान के लिए सम्मानित किया गया है l
15 साल की उम्र में देश के नामचीन एक्टिविस्टों के साथ सम्मान पाने की बात से खुश ऐश्वर्या ने यह पुरस्कार बरेली जिले में रह रहे अपने दादा राम प्रकाश शर्मा और दादी उषा शर्मा को समर्पित करने की बात कही है l
पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी; वरिष्ठ अधिवक्ता चन्द्र भूषण पाण्डेय; आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा,सलीम बेग, गोपाल प्रसाद समेत सैकड़ों लोगों ने ऐश्वर्या को उनकी सफलता पर बधाई दी है l