लखनऊ: सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत नई दिल्ली निवासी श्री जे0पी0 भगत ने सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत विकास प्राधिकरण, मुरादाबाद को आवेदन पत्र देकर जानकारी चाही थी कि नया मुरादाबाद योजना सेक्टर-06, बन्द कालोनी में क्या चोरी हुई है, चोरों के खिलाफ क्या नियमानुसार एफ0आई0आर0 दर्ज कराया गया है। एफ0आई0आर0 की प्रमाणित छायाप्रतियां उपलब्ध करायी जाये। मगर विभाग द्वारा वादी को कोई जानकारी नहीं दी गयी। अधिनियम के तहत सूचना न मिलने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर प्रकरण की जानकारी चाही।
राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने विकास प्राधिकरण, मुरादाबाद को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी के प्रार्थना-पत्र की सभी सूचनाएं वादी को उपलब्ध कराते हुए, आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचना क्यों नहीं दी गयी है।
सुनवाई के दौरान वादी/प्रतिवादी दोनों की बहस सुनी गयी। आयोग यह समझता है कि इस पूरे मामले में जांच कराया जाना न्यायहित में है। चूंकि प्रकरण जानहित एवं भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है, इसलिए आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 18 (2) के तहत प्रकरण में जांच आरम्भ कर दी है। अतः डिवीजनल कमाण्डेन्ट होमगाड्र्स मुरादाबाद, मण्डल मुरादाबाद को इस आशय से आदेशित किया जाता है कि सम्बन्धित मामले में वादी/प्रतिवादी एवं सम्बन्धित पक्ष के बयान कलमबन्द करते हुए, जांच से सम्बन्धित सभी अभिलेख आयोग के समक्ष पेश करें, जिससे अन्तिम निर्णय लिया जा सके।
विकास प्राधिकरण, मुरादाबाद से श्री एन0पी0 सिंह से उपस्थित हुए। उनके द्वारा बताया गया है कि सैक्टर-6 में आवासीय भवनों से विद्युत व सैनेट्री इत्यादि की फिटिंग को क्षतिग्रस्त करते हुए रू0 11,39,000 (रू0 ग्यारह लाख, उन्तालिस हजार) की क्षति (सामान चोरी) हुई है, सामान चोरी हाने की एफ0आई0आर0 दर्ज करा दी गयी है।