नई दिल्ली: आज राज्य सभा में एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को अंतरिक्ष आधारित प्रणालियां प्रदान करने की योजना बना रहा है।
इसके तहत 12 केयू-बैंड ट्रांसपोंडर्स और इंडियन जियोस्टेशनरी लॉन्च व्हेकिल जीएसएलवी एमके-2 के इस्तेमाल से उसे प्रक्षेपित करके सार्क क्षेत्र के लिए उपग्रह तैयार किया जाएगा।
इस प्रस्ताव पर जानकारी देने और चर्चा के लिए नई दिल्ली में 22 जून, 2015 को भारत ने ‘सार्क क्षेत्र एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एप्लीकेशन के लिए उपग्रह’ विषयक एक दिवसीय बैठक आयोजित की थी। इस सम्मेलन में सभी सार्क देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे। इस प्रस्ताव पर सभी सार्क राष्ट्रों की बहुत सकारात्मक और उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रिया मिली है। पाकिस्तान ने इस पहल का स्वागत तो किया लेकिन इसके तकनीकी और संचालन संबंधी पक्षों पर कुछ सवाल उठाए। अपनी स्वीकृति देने के पहले पाकिस्तान ने इच्छा व्यक्त की कि इस मामले पर और चर्चा की जाए।
उपग्रह प्रक्षेपण की कुल लागत लगभग 235 करोड़ रूपए होने का अनुमान है। यह पूरा खर्च भारत उठाएगा। इस प्रस्तावित उपग्रह से हमारे पड़ोसियों को ऐप्लिकेशनों और सेवाओं की पूरी श्रृंखला प्राप्त होगी जिसमें दूरसंचार और प्रसारण शामिल हैं। इसके जरिए हमारे पड़ोसी देश टेलीविजन, डीटीएच, वीसेट, संचार-शिक्षा, संचार-चिकित्सा और आपदा प्रबंधन समर्थन प्राप्त कर सकेंगे।