नई दिल्ली: केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री डीवी सदानंद गौड़ा ने आज देश में विस्तृत दवा और चिकित्सा उपकरण पार्कों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए औषध विभाग की चार योजनाओं का शुभारंभ किया। इस अवसर पर नौवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री श्री मनसुख एल. मंडाविया, नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, औषधि विभाग के सचिव, डॉ. पी डी वाघेला भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री गौड़ा ने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण और उनके फार्मा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के आह्वान की दिशा में उठाया गया एक कदम है। इसके लिए भारत सरकार ने चार योजनाओं को मंजूरी प्रदान की है, जिनमें से दो-दो विस्तृत दवा और चिकित्सा उपकरण पार्कों के लिए हैं। उन्होंने उद्योगों और राज्यों से आह्वान किया कि वे आगे बढ़कर इन योजनाओं में हिस्सा लें।
उन्होंने कहा कि भारत को प्रायः ‘विश्व की फार्मेसी’ के रूप में जाना जाता है और यह विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान सच भी साबित हुआ है, जब भारत ने देशव्यापी लॉकडाउन में भी जरूरतमंद देशों के लिए महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाओं का निर्यात जारी रखा। हालांकि, इन उपलब्धियों के बावजूद, यह एक चिंता का विषय है कि हमारा देश दवा उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल के लिए आयात पर काफी ज्यादा निर्भर है, जैसे बल्क ड्रग्स (मूख्य प्रारंभिक सामग्रियों (केएसएम)/ दवा निर्माण के लिए माध्यमिक सामग्रियों (डीआई) और सक्रिय औषध सामग्रियों (एपीआई)), जिनका उपयोग कुछ आवश्यक दवाओं का उत्पादन करने में किया जाता है। इसी प्रकार से चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में, हमारा देश चिकित्सा उपकरणों की अपनी आवश्यकताओं का 86%, आयात पर निर्भर करता है।
श्री मंडाविया ने कहा कि भारतीय औषध क्षमताओं को और ज्यादा बढ़ावा देने की दिशा में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है। दिशा-निर्देशों का ब्यौरा देते हुए, श्री मंडाविया ने कहा कि केएसएम, डीआई और एपीआई और चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, उत्पादन से जुड़ी हुई प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं एक लंबा रास्ता तय करेंगी, जिसमें 53 दवाओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके लिए भारत आयात पर निर्भर करता है।
योजना के दिशा-निर्देशों में शामिल 41 उत्पादों की सूची के माध्यम से 53 थोक दवाओं का घरेलू उत्पादन किया जा सकेगा। घरेलू मूल्यवर्धन के अपेक्षित स्तर के साथ, स्थानीय स्तर पर निर्मित इन 41 उत्पादों की घरेलू बिक्री के लिए एक निश्चित प्रतिशत के रूप में, इस योजना के अंतर्गत चयनित किए गए अधिकतम 136 विनिर्माताओं को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
ये प्रोत्साहन अनुमोदित पत्र में सूचित वार्षिक अधिकतम सीमा के अधीन होंगे। यह प्रोत्साहन 6 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जाएगा। किण्वन आधारित उत्पादों के मामले में, प्रोत्साहन की दर पहले चार वर्षों के लिए 20 प्रतिशत, पांचवें वर्ष के लिए 15 प्रतिशत और छठे वर्ष के लिए 5 प्रतिशत होगी।
रासायनिक संश्लेषित उत्पादों के मामले में, सभी छह वर्षों के लिए प्रोत्साहन की दर 10% निर्धारित की गई है। चयनित निर्माताओं को, प्रत्येक उत्पाद के लिए अनिवार्य सीमा निवेश से ऊपर प्रतिबद्ध निवेश को पूरा करना होगा और प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए पात्र होने से पहले, एक निर्धारित न्यूनतम स्थापित क्षमता प्राप्त करनी होगी। चार किण्वन आधारित उत्पादों के लिए सीमा निवेश 400 करोड़ रुपये और 10 किण्वन आधारित उत्पादों के लिए 50 करोड़ रुपये रखी गई है। इसी प्रकार, रासायनिक रूप से संश्लेषित चार उत्पादों के लिए सीमा निवेश 50 करोड़ रुपये और रासायनिक रूप से संश्लेषित 23 उत्पादों के लिए 20 करोड़ रुपये रखी गई है। इन दिशा-निर्देशों में 41 उत्पादों में से प्रत्येक के लिए प्राप्त की जाने वाली न्यूनतम स्थापित क्षमता निर्धारित की गई है। किण्वन आधारित उत्पादों के लिए प्रोत्साहन वित्त वर्ष 2023-24 से उपलब्ध होगा अर्थात् दो वर्ष की अवधि के बाद, जिसके दौरान चयनित आवेदक को प्रतिबद्ध निवेश पूरा करना पड़ेगा और प्रतिबद्ध क्षमता को स्थापित करना होगा।
रासायनिक रूप से संश्लेषित उत्पादों के लिए, प्रोत्साहन वित्त वर्ष 2022-23 से उपलब्ध होगी अर्थात एक वर्ष की अवधि के बाद, जिसके दौरान चयनित आवेदक को प्रतिबद्ध निवेश करना होगा और प्रतिबद्ध क्षमता स्थापित करनी होगी। इस योजना के अंतर्गत, कोई भी कंपनी, साझेदारी फर्म, प्रोपराइटरशिप फर्म या भारत में पंजीकृत एलएलपी और जिनके पास प्रस्तावित निवेश का 30% न्यूनतम नेटवर्थ (समूह की कंपनियों सहित) है, योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन के लिए आवेदन करने के पात्र है। एक आवेदक किसी भी संख्या में उत्पादों के लिए आवेदन कर सकता है।
आवेदकों का चयन, समग्र रूप से पारदर्शी मूल्यांकन मानदंडों के आधार पर किया जाएगा जिसमें आवेदक द्वारा किए गए वार्षिक उत्पादन क्षमता और आवेदक द्वारा उद्धृत उत्पादों का बिक्री मूल्य शामिल है। कम विक्रय मूल्य और अधिक उत्पादन क्षमता रखने वाले आवेदकों को मूल्यांकन में ज्यादा अंक प्रदान किए जाएंगे।
ये दिशा-निर्देश औषध विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। चार योजनाओं की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
आवेदकों के लिए यह योजना, दिशा-निर्देशों के जारी होने की तारीख से लेकर 120 दिनों की अवधि के लिए खुली हुई है और आवेदन समाप्त होने के बाद 90 दिनों के भीतर चयनित आवेदकों को अनुमोदित कर दिया जाएगा। आवेदनों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही प्राप्त किया जाएगा। इस योजना के लिए कुल वित्तीय परिव्यय 6,940 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
विस्तृत दवा पार्क को बढ़ावा देने की योजना: इस योजना के अंतर्गत देश में 3 विस्तृत दवा पार्क बनाने की परिकल्पना की गई है। अनुदान-सहायता, पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों के मामले में परियोजना की लागत का 90 प्रतिशत और अन्य राज्यों के मामले में 70 प्रतिशत होगी। एक विस्तृत दवा पार्क के लिए अधिकतम अनुदान-सहायता को 1,000 करोड़ रुपये तक सीमित किया गया है।
राज्यों का चुनाव चुनौती पद्धति के माध्यम से किया जाएगा। पार्क स्थापित करने में रुचि रखने वाले राज्यों को, पार्क में स्थित थोक दवा इकाइयों के लिए 24×7 बिजली और पानी की आपूर्ति को सुनिश्चित करनी होगा और पार्क में थोक दवा इकाइयों को प्रतिस्पर्धी भूमि पट्टे वाली दरों की पेशकश करनी होगी। राज्यों का चयन करते समय उनके द्वारा प्रस्तावित पार्क के स्थान के लिए पर्यावरणीय दृष्टिकोण और लॉजिस्टिक दृष्टिकोण को भी ध्यान में रखा जाएगा।
राज्य की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग, थोक दवा उद्योग के लिए राज्य में लागू प्रोत्साहन की नीतियां, राज्य में तकनीकी जनशक्ति की उपलब्धता, राज्य में दवा/ रसायन समूहों की उपलब्धता का भी, राज्यों के चयन में सकारात्मक प्रभाव होगा। इच्छुक राज्यों को, दिशा-निर्देशों में जारी किए गए मूल्यांकन मानदंडों के आधार पर स्कोर और रैंकिंग प्रदान की जाएगी, जो मापदंडों में सबसे ऊपर से आते है। शीर्ष 3 रैंक प्राप्त करने वाले राज्यों का चयन किया जाएगा। राज्यों को दिशा-निर्देश जारी करने की तारीख के 60 दिनों के अंदर अपना प्रस्ताव भेजना होगा। प्रस्तावों को प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि के 30 दिनों के भीतर, तीनों चयनित राज्यों को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की जाएगी और उनका चयन कर लिया जाएगा।
इसके बाद 3 चयनित राज्यों को सैद्धांतिक मंजूरी मिलने 180 दिनों के भीतर, एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रस्तुत करनी होगी, जिसके आधार पर उन्हें अंतिम मंजूरी प्रदान की जाएगी। अनुदान-सहायता को चार किस्तों में जारी किया जाएगा। पहली तीन किस्तों में प्रत्येक ले लिए 30% और अंतिम के लिए 10% अनुदान-सहायता प्रदान की जाएगी। चयनित राज्यों को अनुदान-सहायता प्राप्त होने की पहली किस्त मिलने के दो वर्ष के अंदर, अनुमोदित डीपीआर के अनुसार पार्कों का निर्माण का काम पूरा करना होगा। एक ही छत के नीचे सभी प्रकार की विनियामक स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए इन पार्कों में एकल खिड़की प्रणाली की भी परिकल्पना की गई है। अनुसंधान और विकास के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाने के लिए, उत्कृष्टता केंद्र के निर्माण को भी परिकल्पित किया गया है। योजना के लिेए कुल वित्तीय परिव्यय 3,000 करोड़ रुपये रखा गया है।
चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी हुई प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना: इस योजना का उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि के लिए, अधिकतम 28 चयनित आवेदकों को बिक्री करने पर, वित्तीय प्रोत्साहन देकर चार लक्षित अनुभागों में चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है। घरेलू रूप से निर्मित चिकित्सा उपकरणों की बिक्री में 5% की दर से वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। ये प्रोत्साहन वार्षिक अनुमोदन पत्र में उल्लेखित अधिकतम सीमा के अधीन होंगे, यह प्रोत्साहन वित्त वर्ष 2021-22 से उपलब्ध होगा। चार लक्षित अनुभाग हैं:-
कैंसर केयर/रेडियोथैरेपी चिकित्सा उपकरण
रेडियोलॉजी और इमेजिंग चिकित्सा उपकरण (दोनों आयनीकृत और गैर-आयनीकृत विकिरण उत्पाद) और परमाणु इमेजिंग उपकरण
एनेस्थेटिक्स और कार्डियो-रेस्पिरेटरी चिकित्सा उपकरण, जिसमें कार्डियो रेस्पिरेटरी श्रेणी और रेनल केयर चिकित्सा उपकरण के कैथेटर भी शामिल है
सभी इंप्लांटेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों सहित प्रत्यारोपण
भारत में पंजीकृत कोई भी कंपनी और 18 करोड़ रुपये (प्रथम वर्ष की सीमा निवेश का 30%) की न्यूनतम निवल मूल्य (समूह कंपनियों सहित) रखने वाली, योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन के लिए आवेदन करने के पात्र है। आवेदक, एक लक्ष्य अनुभाग के साथ-साथ कई लक्षित अनुभागों अंतर्गत कई उत्पादों के लिए आवेदन कर सकता है। चयनित आवेदकों को प्रत्येक वर्ष के लिए निर्धारित सीमा निवेश को पूरा करना होगा और प्रोत्साहन प्राप्ति का पात्र होने के लिए उस वर्ष के लिए न्यूनतम निर्धारित बिक्री प्राप्त करनी होगी। आवेदन करने की समय-सीमा, दिशा-निर्देश जारी होने की तारीख से लेकर 120 दिनों तक है और इसके बाद चयनित आवेदकों को आवेदन खत्म होने की तारीख से 60 दिनों के भीतर अनुमोदन प्रदान किया जाएगा। आवेदन केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही प्राप्त किए जाएंगे। इस योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 3,420 करोड़ रुपये है।
सीईओ, नीति आयोग, श्री अमिताभ कांत ने कहा कि भारत बड़ी संख्या में जेनरिक दवाओं के साथ-साथ 500 से ज्यादा एपीआई का उत्पादन करता है, फिर भी उसे बड़ी मात्रा में एपीआई का आयात करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आयात पर निर्भरता को कम करना चाहते हैं।
सचिव, औषधि, श्री पी डी वाघेला ने दिशा-निर्देशों का विस्तृत विवरण प्रदान किया।
यह उम्मीद की जा रही है कि इन योजनाओं के माध्यम से भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि चयनित थोक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की वैश्विक मांगों को भी पूरा करने में सक्षम होगा। निवेशकों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है क्योंकि उद्योग को प्रोत्साहित करने और एक साथ विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा का समर्थन प्राप्त करने से, उत्पादन की लागत में कमी आने में बहुत हद तक मदद मिलेगी। इन क्षेत्रों में. इस योजनाओं के साथ-साथ उदार एफडीआई नीति और लगभग 17% (अधिभार और उपकर सहित) की लागत प्रभावी कॉर्पोरेट टैक्स दर के साथ, ये योजनाएं चयनित उत्पादों के मामले में भारत को अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में एक प्रतिस्पर्धी बढ़त प्रदान करेगी।
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