16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

अन्य राज्यों में रह रहे उत्तराखंड के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो- डॉ. दिव्या नेगी घई

उत्तराखंड

उत्तराखंड के लोगों के लिए है यह सौभाग्य की बात है कि हम इस साल अपने राज्य के 22वां स्थापना दिवस मना रहे हैं। इन 22 सालों में उत्तराखंड ने बहुत परिवर्तन देखा है। सामाजिक, आर्थिक  एवं राजनैतिक परिवर्तन  से ही सिर्फ उत्तराखंड का सामना नहीं हुआ है। हमारे इस राज्य में जो मूल रूप से परिवर्तन हुआ है और वह दिख रहा है उसमें असुरक्षित महिला, बेरोजगार युवक,  पहाड़ों से पलायन होते लोग, उत्तराखंड के विकास के नाम पर दोहन होते हुए हमारे जलसंपदा, वनसंपदा एवं भू-संपदा इन सभी क्षेत्रों में भी अप्रत्याशित परिवर्तन एवं  वृद्धि हुआ है।

आज मैं अपने इस लेख के माध्यम से सिर्फ एक मुद्दे की बात करना चाहती हूं। हाल ही में जो घटना हमारे उत्तराखंड के लोगों के साथ उत्तराखंड में घटित हुई है एवं जो लोग उत्तराखंड से बाहर रह रहे हैं उनके साथ भी यह घटना अब धीरे-धीरे आम होती चली जा रही है। जब अंकिता हत्याकांड की घटना हुई तो हमें यह लग रहा था कि हमारे राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। हमारी सरकार एवं बुद्धिजीवियों को महिला सुरक्षा के क्षेत्र में कदम उठाना चाहिए ऐसा विचार आ रहा था। परंतु हाल के दिनों में उत्तराखंड के महिलाओं के साथ दिल्ली में जो घटना घटित हुई, वह हमें अब शर्मसार कर रही है। क्या अब हम यह मान ले कि उत्तराखंड की महिलाएं ना अपने राज्य में सुरक्षित है और नाही अब अन्य राज्यों में उत्तराखंड की महिला सुरक्षित है। अंकिता हत्याकांड के साथ-साथ किरण नेगी की हत्या अब हमें सोचने पर मजबूर कर रही है। किरण नेगी की हत्या जिस बर्बरता के साथ दिल्ली में अपराधियों ने की है वह पूरे मानव जाति के लिए एक कलंक है। साथ ही वह कलंक हमारे राज्य के लोगों के माथे पर भी है। उत्तराखंड के सिर्फ महिलाएं ही असुरक्षित है ऐसा नहीं है ,  हाल ही के एक घटना में मनोज नेगी की भी हत्या कर दी गई थी। मनोज नेगी का कसूर बस इतना था कि दिल्ली के बलजीत नगर के पटेल नगर में कुछ बदमाशों ने उसकी बहन के साथ छेड़छाड़ की और मनोज नेगी ने अपनी बहन की अस्मत की रक्षा करते हुए उन बदमाशों का विरोध किया। बदमाशों ने मौके पर ही मनोज नेगी को चाकू से  हमला कर लहूलुहान कर दिया और मनोज नेगी की मृत्यु हो गई। इस तरह की घटनाएं अब उत्तराखंड के लोगों के साथ अनगिनत हो रही है।

हमारे राज्य में बेरोजगारी की अत्यधिक संख्या होने के कारण बहुत से परिवार अन्य राज्यों में रोजगार के लिए जा रहे हैं। बेशक उन्हें वहां रोजगार मिल रहा है परंतु उन्हें अनगिनत समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। वही हमारा राज्य उत्तराखंड पहाड़ से पलायन का दंश भी झेल रहा है, गांव के गांव हर रोज खाली होते जा रहे हैं। जहां पलायन होते हुए लोगों एवं महिलाओं के साथ इस तरह के अपराधिक घटनाएं भी बढ़ रही है।  मैं सोचती हूं कि क्या इस घटना को रोका जा सकता है या फिर  इसकी गति को कम किया जा सकता है क्या?

मैं उत्तराखंड के राजनीतिक दलों एवं सरकारों के साथ-साथ सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं बुद्धिजीवियों से अनुरोध करना चाहती हूं कि हम सब एक ऐसे कमेटी या संस्था का गठन करें जिसके माध्यम से उत्तराखंड से पलायन होते हुए लोगों का ब्यौरा हमें स्पष्ट रूप से मिल सके। साथ ही साथ क्या हम अन्य राज्यों में रह रहे लोगों के साथ जो अत्याचार एवं हिंसक घटना घट रही है उसके लिए कोई एक ऐसा मंच तैयार करें जहां पर इन सभी लोगों दूसरे राज्यों में सुरक्षा मुहैया कराई जा सके। गढ़वाल, कुमाऊं एवं जौनसार के साथ-साथ अन्य सभी लोगों के साथ जो घटना अन्य राज्यों में हो रही है उसका लेखा-जोखा हमारे पास हो एवं ऐसी घटना दोबारा ना हो सके उसके लिए कोई एक राष्ट्रीय स्तर की कमेटी भी बनाई जा सके जिसमें उत्तराखंड के सरकारों का हस्तक्षेप हो एवं उत्तराखंड के लोगों के लिए सुरक्षा मुहैया कराई जा सके। अगर कोई अपराधिक घटना किसी महिला एवं अन्य लोगों के  साथ हुआ हो तो उस पर त्वरित कार्रवाई की जा सके।

लेखक के बारे में…

डॉ दिव्या नेगी घई पेशे से एक शिक्षाविद, लेखिका और युवा सामाज कार्यकर्ता हैं। वे एक दशक से अधिक समय से स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पढ़ा रही हैं और अपने एनजीओ यूथ रॉक्स फाउंडेशन के माध्यम से युवाओं के लिए काम भी करती हैं।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More