लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में संस्कृत भाषा के विद्वानों को सम्मानित किया। संस्कृत भाषा के लिए प्रदेश के सबसे बड़े विश्व भारती पुरस्कार से आचार्य रामयत्न शुक्ल को 05 लाख 01 हजार रुपए का चेक, ताम्र पत्र, अंगवस्त्रम् तथा देवी सरस्वती की प्रतिमा देकर सम्मानित किया गया। डाॅ0 प्रभुनाथ द्विवेदी तथा डाॅ0 शशि तिवारी को क्रमशः 02 लाख 01 हजार रुपए का चेक, ताम्र पत्र, अंगवस्त्रम् तथा देवी सरस्वती की प्रतिमा देकर महर्षि व्यास पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही, आचार्य जयशंकर त्रिपाठी, डाॅ0 आनन्द कुमार श्रीवास्तव, डाॅ0 धर्मेन्द्र कुमार, आचार्य रवीन्द्र नागर एवं आचार्य राम किशोर त्रिपाठी को क्रमशः 01 लाख 01 हजार रुपए का चेक, ताम्र पत्र तथा अंगवस्त्रम् देकर विशिष्ट पुरस्कार से मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने 10 विद्वानों को वेद पण्डित पुरस्कार से भी सम्मानित किया। इसके तहत श्री विद्यासागर विनायक देव, श्री नित्यानन्द आचार्य, श्री चेतन शर्मा, पं0 अविकल्प शुक्ल, श्री अक्षय कुमार औदिच्य, श्री ब्रजमोहन पाण्डेय, श्री सोमप्रकाश शर्मा,
श्री सुनील कुमार शर्मा तथा श्री के0वी0 रामन सम्मानित किए गए। प्रत्येक विद्वान को
51 हजार रुपए का चेक, ताम्र पत्र तथा अंगवस्त्रम् प्रदान किया गया। श्री महेश कुलकर्णी कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो पाए। श्री यादव ने डाॅ0 पुष्पा झा,
डाॅ0 कृष्ण नारायण पाण्डेय, डाॅ0 शिवशंकर मिश्र तथा डाॅ0 विनय कुमार पाण्डेय को क्रमशः 51 हजार रुपए का चेक, ताम्र पत्र तथा अंगवस्त्रम् देकर नामित पुरस्कार से सम्मानित किया।
इस मौके पर अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत एक प्राचीन भाषा है। उन्होंने संस्कृत को अत्यन्त वैज्ञानिक, सारगर्भित एवं सभी भाषाओं की जननी बताया। वर्तमान राज्य सरकार ने सत्ता में आते ही प्रदेश की सभी भाषाओं के विद्वानों को सम्मानित करने का लगातार कार्य किया है। राज्य सरकार के इस प्रयास को हिन्दी संस्थान ने काफी तेजी से आगे बढ़ाया है। सभी भाषाओं के विद्वान काफी गहराई से अध्ययन करने वाले लोग होते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में इनके विशाल अनुभव का लाभ प्रदेश एवं समाज को उठाना चाहिए।
श्री यादव ने कहा कि राज्य सरकार समाज के सभी वर्गाें तक संस्कृत सहित सभी भाषाओं की पहुंच बनाने के लिए काम कर रही है। पूर्व समाजवादी सरकार के समय में संस्कृत सहित सभी भाषाओं के विकास एवं इनसे जुड़े विद्वानों एवं शिक्षकों के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि आदरणीय नेता जी के बाद वर्तमान राज्य सरकार ने सर्वाधिक संस्कृत विद्यालयों को अनुदान सूची में सम्मिलित करने का काम किया है। यदि केन्द्र सरकार राज्य में कोई संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने के पहल करती है तो राज्य सरकार इस कार्य हेतु भूमि उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। उन्होंने छात्रा कुमारी मरियम सिद्दीकी की सराहना करते हुए कहा कि इस विद्वान बालिका के कार्याें के लिए राज्य सरकार पहले ही सम्मानित कर चुकी है। यह खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री जी ने भी बच्ची को अपने आवास पर बुलाकर सम्मानित करने का काम किया।
40 वर्ष पूर्व देश में लगाए गए आपातकाल का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने जिस प्रकार विभिन्न भाषाओं के विद्वानों को सम्मानित करने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था, उसी प्रकार लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन भी रोक दी थी। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि इन दोनों रोके गए कार्याें को वर्तमान राज्य सरकार ने न केवल पुनः शुरु किया बल्कि सम्मान एवं पेंशन की धनराशि में बढ़ोत्तरी भी की। उन्होंने आश्वस्त किया कि लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन रोकी न जा सके, इसके लिए राज्य सरकार वैधानिक व्यवस्था करेगी।
इससे पूर्व, विधान सभा अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय ने सम्मानित विद्वानों को बधाई देते हुए कहा कि इन पुरस्कारों के फलस्वरूप संस्कृत भाषा से जुड़े अन्य विद्वानों को और अधिक परिश्रम से कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने राज्य सरकार के इस कार्य को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि इस देश की संस्कृति को समझने के लिए संस्कृत भाषा का अध्ययन जरूरी है।
हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ0 उदय प्रताप सिंह ने संस्कृत को गौरवशाली भाषा बताते हुए कहा कि जिस समय दुनिया के लोग आदिम व्यवस्था में जी रहे थे, उस समय संस्कृत के मनीषियों ने देश की सभ्यता एवं संस्कृति को शिखर पर पहुंचाने का काम किया था। उन्होंने विभिन्न भाषाओं को समृद्ध बनाने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की की सराहना करते हुए कहा कि ऐसा मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत रुचि के कारण सम्भव हो पा रहा है।
विश्व भारती सम्मान से सम्मानित किए गए आचार्य रामयत्न शुक्ल ने वर्तमान राज्य सरकार एवं मुख्यमंत्री द्वारा संस्कृत विद्वानों की पुरस्कार राशि को दो-गुना किए जाने की प्रशंसा करते हुए कहा कि नेता जी श्री मुलायम सिंह यादव ने भी अपने मुख्यमंत्रित्व काल में संस्कृत भाषा के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के मुख्य भवन के जीर्णोद्धार के लिए पहल की गई। उन्होंने प्रशंसा की तथा भरोसा जताया कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रदेश सरकार धन की कमी नहीं होने देगी।
इस अवसर पर जनपद कानपुर देहात के जिलाधिकारी श्री कुमार रवि कान्त सिंह ने नेपाल भूकम्प पीडि़तों के लिए, एकत्रित 01 करोड़ रुपए का चेक मुख्यमंत्री पीडि़त सहायता कोष के लिए मुख्यमंत्री को प्रदान किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में संस्कृत संस्थानम् की अध्यक्ष (डाॅ0) साधना मिश्रा ने सभी का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के निदेशक श्री बृजेश चन्द्र ने किया।
सम्मान समारोह में राज्य मंत्रिमण्डल के सदस्य श्री राजेन्द्र चैधरी, श्री अम्बिका चैधरी, श्री पारस नाथ यादव, श्री ओम प्रकाश सिंह, प्रमुख सचिव भाषा श्री शैलेश कष्ण, सचिव मुख्यमंत्री श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा सहित अन्य गणमान्य नागरिक तथा संस्कृत के विद्वान उपस्थित थे।