वाराणसी। संयम, योग और सादगी की प्रतिमूर्ति ने अविभाजित बंगाल के शिवानंद को काशी में बाबा शिवानंद बना दिया है। 126 साल की उम्र में भी फुर्ती ऐसी कि देखने वाले दंग ही रह जाएं। सोमवार को नई दिल्ली में पद्मश्री सम्मान लेने के चंद मिनट पहले नंदी मुद्रा में पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रणाम कर उन्होंने अपनी योग कला का प्रदर्शन भी किया।
सादगी के तो कहने ही क्या? पद्मश्री सम्मान के लिए राष्ट्रपति भवन में नाम पुकारा गया तो सफेद कपड़ों में नंगे पांव पहुंचे इस संन्यासी को देखकर हर कोई श्रद्धा से नत हो गया।
चार वर्ष की उम्र में अपने परिवार से अलग हो गए बाबा शिवानंद ने छह वर्ष की उम्र से ही योग को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया। तब से ही उन्होंने पवित्र जीवन जीने की ठानी, वह भी बिल्कुल सामान्य वेशभूषा में और आज तक उसका पालन कर रहे हैं। बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को अविभाजित बंगाल के श्रीहट्ट जिले के ग्राम हरिपुर (थाना क्षेत्र बाहुबल) में एक गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
मौजूदा समय में यह जगह बांग्लादेश में स्थित है। बाबा ने बताया कि उनके माता-पिता दरवाजे-दरवाजे भीख मांगकर अपनी आजीविका चलाते थे। चार साल की उम्र में माता-पिता ने बेहतर भविष्य के लिए उन्हें नवद्वीप निवासी बाबा ओंकारनंद गोस्वामी को समर्पित कर दिया। शिवानंद छह साल के थे, तभी उनके माता-पिता और बहन की भूख के चलते निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने गुरु के सानिध्य में आध्यात्म की दीक्षा लेनी शुरू की।
सादा भोजन और योग में बिताए 120 वर्ष
जीवन के 126 वसंत पार कर चुके बाबा शिवानंद छह वर्ष की आयु से ही संयमित दिनचर्या का पालन कर रहे हैं। पूरी तरह स्वस्थ बाबा ब्रह्म् मुहूर्त में तीन बजे ही चारपाई छोड़ देते हैं। स्नान-ध्यान के बाद नियमित एक घंटे योग करते हैं। भोजन में बहुत कम नमक में उबला आलू, दाल का सेवन करते हैं।
बाबा के शिष्यों ने बताया कि वे फल और दूध का भी सेवन नहीं करते हैं। उन्होंने विवाह नहीं किया है। उनके मुताबिक, ईश्वर की कृपा से उनको कोई बीमारी और तनाव नहीं है। बाबा शिवानंद की मानें तो वे कभी स्कूल नहीं गए, जो कुछ सीखा वह अपने गुरु से ही। उन्हें अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान है।
दुनिया के सबसे बुजुर्ग इंसान का है दावा
126 साल के बाबा शिवानंद के बारे में शिष्यों का दावा है कि वे दुनिया के सबसे बुजुर्ग इंसान हैं। उनके आधार कार्ड और पासपोर्ट में उनकी जन्मतिथि आठ अगस्त 1896 दर्ज है। वाराणसी के दुर्गाकुंड इलाके में स्थित आश्रम में शिवानंद बाबा का कमरा तीसरी मंजिल पर है। शिष्यों के मुताबिक वे दिन भर में तीन से चार बार सीढ़ियों से चढ़ते और उतरते हैं।
तीन बार नंदीवत प्रणाम से मोहा दुनिया का मन
राष्ट्रपति भवन में सोमवार को आयोजित समारोह में पद्म सम्मान के लिए अपने नाम की घोषणा सुनने के बाद अपने स्थान से खड़े हुए बाबा शिवानंद ने राष्ट्रपति के पास पहुंचने तक तीन बार नंदीवत योग की मुद्रा में प्रणाम कर दुनिया का मन मोह लिया। पहले पीएम के सामने दोनों पैर मोड़कर हाथों को आगे कर प्रणाम किया तो पीएम मोदी ने भी झुककर उनका अभिवादन किया।
इसके बाद राष्ट्रपति के सामने पहुंचने पर उन्होंने इसी मुद्रा में प्रणाम किया और पास पहुंचने के बाद फिर झुके तो राष्ट्रपति ने उन्हें आगे बढ़कर सहारा दिया। इस घटनाक्रम के जरिए भी बाबा ने योग कला को दुनिया के सामने रखा।
सादगी ऐसी कि 126 साल के बाबा नंगे पांव ही पद्मश्री लेने पहुंचे राष्ट्रपति भवन, पद्मश्री सम्मान से पहले नंदी मुद्रा में प्रणाम कर दुनिया को दिखाई अपने योग की कला।
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