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सर्बानंद सोनोवाल ने मिजोरम में प्रमुख स्वास्थ्य क्षेत्र को प्रोत्साहन देने की घोषणा की

देश-विदेश

केंद्रीय आयुष एवं पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने मिजोरम में आयुष क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की। केंद्रीय मंत्री ने मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा के साथ मिजोरम में छह आयुष अस्पतालों का शिलान्यास किया। पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्य में स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्रोत्साहन देते हुए आज यहां हुए एक कार्यक्रम के दौरान 24 आयुष स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) का शुभारम्भ किया गया।

राज्य में आइजोल, चंपाई और हनाथियाल में  50 बिस्तरों वाले तीन अस्पताल विकसित किए जाएंगे। इसके अलावा राज्य में खावजाल, सैतुल और होरतोकी में 10 बिस्तर वाले तीन अस्पताल विकसित किए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ मरीज की पीड़ाहारी, निवारक और उपचारात्मक देखभाल में पूर्वोत्तर की लोक चिकित्सा एक अहम भूमिका निभा सकती है।

केंद्रीय मंत्री ने मिजोरम और पूर्वोत्तर की लोक औषधियों सहित भारत की समृद्ध परम्परागत चिकित्सा पद्धति का लाभ जन-जन तक पहुंचाने के महत्व को रेखांकित किया। मरीज देखभाल प्रबंधन में आयुष की भूमिका के बारे में बोलते हुए, श्री सोनोवाल ने कहा कि आयुष द्वारा परिकल्पित परम्परागत औषधियों की समृद्ध विरासत मरीज की देखभाल में खासी प्रभावी साबित हुई है। मरीज देखभाल और स्वस्थ जीवनशैली के समग्र दृष्टिकोण में निवारक तथा उपचारात्मक दोनों पहलू शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि लोक औषधियों की शिक्षा और उनके दोहन के क्रम में आयुष मंत्रालय पूर्वोत्तर के जातीय समुदायों के बीच स्थानीय स्वास्थ्य परम्पराओं (एलएचटी), ओरल स्वास्थ्य परम्पराओं (ओएचटी) और एथनो चिकित्सा पद्धतियों (ईएमपी) का आलोचनात्मक मूल्यांकन तथा मंजूरी के लिए एक बहु केंद्रित अनुसंधान परियोजना चला रहा है।

भारत के नए दौर के आर्थिक विकास में मिजोरम और पूर्वोत्तर की भूमिका के बारे में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “एक्ट ईस्ट पॉलिसी के माध्यम से प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर को भारत का सबसे अहम क्षेत्र बनाने की कल्पना की है, जो विकास के नए इंजन को ताकत देगा। पूर्वोत्तर की अष्ट लक्ष्मी को तभी साकार किया जा सकता है, जब पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के साथ मिजोरम भी हमारे ज्ञान को बढ़ाकर, सहयोग और भागीदारी में काम करके, क्षमताओं को विकसित कर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बन जाएगा।”

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