केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन तथा जलमार्ग एवं आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज असम के डिब्रुगढ़ में महाविद्यालय में आयोजित वर्तमान में जारी प्लेटिनम जुबली समारोह के एक भाग के रूप में प्रतिष्ठित हनुमानबक्स सूरजमल कनोई महाविद्यालय का दौरा किया। यात्रा के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने अकादमिक, खेल और सांस्कृतिक विषयों सहित विभिन्न विषयों पर छात्रों के साथ परस्पर बातचीत करते हुए अपने छात्र जीवन के अतीत का स्मरण किया।
छात्रों के साथ परस्पर बातचीत करते श्री सोनोवाल ने महाविद्यालय के खेल के मैदान के उन्नयन के साथ एक नया व्यायामशाला का निर्माण करने में सार्थक योगदान देने की अपनी इच्छा व्यक्त की। अपने छात्र जीवन के दौरान “कनोई महाविद्यालय के शक्तिशाली व्यक्ति” के रूप में विख्यात श्री सोनोवाल ने शानदार परिणाम अर्जित करने के लिए अकादमिक तथा व्यवसायिक क्षेत्रों में लक्ष्यों का अनुसरण करते हुए शारीरिक फिटनेस तथा अच्छे स्वास्थ्य की भूमिका पर बल दिया। श्री सोनोवाल ने यह भी कहा कि किस प्रकार अल्मा मेटर में बिताए गए उनके दिनों ने उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जैसा कि यह इन सभी गौरवशाली वर्षों के दौरान इस क्षेत्र के छात्रों के जीवन को स्वरुप दे रहा है।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए, श्री सोनोवाल ने कहा, ‘‘ आज, हमें जीवन के प्रत्येक पहलू में कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए खुद को तैयार करना है। हमें हर संभव तरीके से खुद को अपग्रेड करना चाहिए जिससे कि हमारे छात्र देश तथा दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले छात्रों के सम्मान प्रदर्शन कर सकें। जैसा कि हम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व के तहत आत्म निर्भर बनने की दिशा में काम कर रहे हैं, हमें अमृत काल के दौरान अपनी क्षमताओं को स्वतंत्र होने के लिए सक्षम बनाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। इस संस्थान के गौरवशाली इतिहास का निर्माण करते हुए, हमें आगे आने वर्षों में इसके कद को बनाये रखने तथा उसमें और सुधार लाने के लिए अनिवार्य रूप से कड़ी मेहनत करनी चाहिए। मैं अपने सम्मानित शिक्षकों से हमारे प्रिय कनोई महाविद्यालय के लिए अगले 50 वर्षों के लिए एक विजन की रूपरेखा बनाने के लिए आग्रह करता हूं कि यह किस प्रकार समुदायों के निर्माण, उसे सक्षम बनाने में तथा बेहतर इकोलॉजी के लिए मानव जीवन को समृद्ध बनाने और क्षेत्र के सतत विकास में योगदान दे सकता है।‘‘
एक स्वस्थ जीवन की भूमिका को रेखांकित करते हुए श्री सोनोवाल ने यह भी कहा कि प्रकृति ईश्वर का प्रतिबिंब है। हमें अनिवार्य रूप से प्रकृति का सम्मान करना सीखना चाहिए तथा प्रकृति को अंगीकार करने वाली जीवन शैली अपनानी चाहिए। अगर हम प्रकृति से प्रेम करते हैं तो वह भी हमसे प्रेम करेगी। एक सौहार्दपूर्ण संबंध बनाये रखने के लिए, हम आयुर्वेद की अपनी समृद्ध विरासत का सहारा ले सकते हैं जिसने हमें सिखाया है कि कैसे प्रकृति के साथ इस मिलन ने सदियों से मानव जीवन को समृद्ध बनाने में सहायता की है। जब समस्त भारत 23 अक्टूबर को आयुर्वेद दिवस मनाएगा, मैं आप सभी से इस ‘ हर दिन हर घर आयुर्वेद ‘ अभियान में शामिल होने तथा निष्क्रिय जीवन शैली से स्वतंत्र होने के लिए और जीवन का एक स्वस्थ तरीका अर्जित करने के लिए प्रति दिन कम से कम एक घंटे योग और ध्यान का अभ्यास करने का आग्रह करता हूं।