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सरदार पटेल का विचार दर्शन और अखिलेश यादव की समाजवादी दृष्टि: राजेन्द्र चौधरी

उत्तर प्रदेश

स्वतंत्रता आंदोलन में लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल राष्ट्र के बड़े नेता थे जिन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने के साथ किसान आंदोलन को लक्ष्य तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उनकी सांगठनिक क्षमता का निर्विवाद रूप से सभी लोहा मानते थे। सामाजिक सौहार्द की मजबूती के लिये बतौर गृहमंत्री सरदार पटेल ने कट्टरपंथी संगठनों पर प्रतिबंध लगाकर समूचे समाज में भरोसा पैदा किया।
सरदार पटेल का पूरा जीवन अन्याय एवं शोषण के खिलाफ लड़ाई के लिये समर्पित रहा। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनैतिक एकीकरण में सरदार पटेल ने केन्द्रीय भूमिका निभाई। सरदार पटेल भेदभाव के प्रबल विरोधी थे। स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल ने गुजरात के खेड़ा में 1918 में अंग्रेज सरकार द्वारा लगाए गए भारी कर में छूट के लिये किसानों द्वारा किये गये आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी के साथ किया था। इसके बाद 1928 में गुजरात के बारदोली में हुये किसान आंदोलन का उन्होंने सफल नेतृत्व किया। यह आंदोलन प्रांतीय सरकार द्वारा किसानों के लगान वृद्धि के खिलाफ था।
महात्मा गांधी द्वारा किये गये सभी स्वतंत्रता आंदोलन जैसे असहयोग आंदोलन, स्वराज आंदोलन, दाण्डी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन में सरदार पटेल ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। कराची कांग्रेस अधिवेषन में सरदार पटेल की अध्यक्षता में ही पूर्ण स्वराज के लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प लिया गया था। किसानों और मजदूरों से जुड़े मुद्दें, किसानों को कर्ज से राहत और सूदखोरों पर नियंत्रण, मजदूरों के लिये बेहतर सेवा शर्ते, महिला मजदूरों की सुरक्षा तथा काम के नियमित घंटे, मजदूरों और किसानों को अपनी यूनियन बनाने की स्वतंत्रता, लगान और मालगुजारी में उचित कटौती, अलाभकारी जोतो को लगान से मुक्ति और शोषण की समाप्ति के साथ राजनीतिक आजादी के साथ-साथ आर्थिक आजादी के लिये लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई आजीवन संघर्षरत रहे और सभी को न्याय दिलाने का सार्थक प्रयास किया।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव की भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के मूल्यों के प्रति गहरी आस्था है। स्वतंत्रता संग्राम के महापुरूषों के जीवन दर्शन को आगे बढ़ाने में समाजवादी पार्टी प्रतिबद्ध रही है। समाजवादियों का स्वतंत्रता आंदोलन से गहरा सम्बंध रहा है। 1942 की अगस्त क्रांति और भारत छोड़ो आन्दोलन के स्वतंत्रता आन्दोलन में सोशलिस्टों ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। नौ अगस्त 1942 को प्रतिबन्ध के बाद भी बम्बई में हजारों देषभक्तों ने राष्ट्र ध्वज फहराने का प्रयास किया जिसका अंग्रेजी हुकूमत ने क्रूरता से दमन किया था। सोशलिस्ट नेत्री अरुणा आसफ अली ने ग्वालिया टैंक अगस्त क्रांति मैदान में तिरंगा फहराया। इस आन्दोलन का संपूर्ण संचालन आचार्य नरेंद्र देव, जेपी, लोहिया, अच्युत पटवर्धन, युसूफ मेहर अली सहित महिलाओं ने भी अंग्रेजी प्रतिरोध का डट कर मुकाबला किया और जेल भी गयीं। डा.राम मनोहर लोहिया अगस्त क्रांति को बेहद महत्वपूर्ण मानते थे।
देश में सबसे ज्यादा परिश्रमी, ईमानदार हमारे किसान-मजदूर-बुनकर भाई हैं। परन्तु मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किसान-मजदूर-बुनकर, कुटीर उद्योगधंधे करने वाले किसानों का शोषण उत्पीड़न किया जा रहा है। लगातार बढ़ती महंगाई से अन्नदाता सबसे ज्यादा गरीब हो गये हैं। आर्थिक तंगी के कारण वह आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों की फसल का लाभकारी मूल्य, न्यूनतम समर्थन मूल्य और फसलों के बकाया भुगतान की मांग जैसे मुद्दों पर आवाज उठाने पर भाजपा सरकार फर्जी मुकदमों और लाठी-गोली से दमन कर रही है। भाजपा राज में हिरासत में मौतों तथा फर्जी एनकाउंटर का क्रम जारी है।
किसानों-मजदूरों द्वारा आर्थिक गैर-बराबरी दूर करने की सरकार से मांग करने पर उत्पीड़न किया जा रहा है। अन्नदाता को भाजपा के नेता-मंत्री अपमानित कर रहे हैं। किसानों पर तीन काले कृषि कानून थोप दिए गए हैं। उन्हें फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है महीनों से किसान जाड़ा-गर्मी-बरसात में बैठे आंदोलन कर रहे है परन्तु पूंजीपतियों के इशारे पर भाजपा सरकार किसानों-मजदूरों का लगातार शोषण कर रही है। उनकी आवाज दबाने के लिए उन्हें गाड़ियों से कुचला जा रहा है। विपक्ष के नेताओं पर अलोकतांत्रिक तरीके से तमाम बंदिशें लगाई जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी विचारधारा की सरकार में ही सभी वर्गों के कल्याण की योजनायें लागू होती हैं और किसानों को उनका हक एवं सम्मान मिलता है। श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में किसानों-मजदूरों के अधिकार की लड़ाई को लक्ष्य तक पहुंचाने और उनकी समस्याओं के समाधान हेतु समाजवादी खेत-खलिहान, कुटीर उद्योग बचाओं-रोजगार दो, किसान-नौजवान, पटेल यात्रा का सफल आयोजन हुआ जिसको अभूतपूर्व समर्थन मिला। किसानों एकबद्ध होकर समाजवादी नीतियों को समर्थन दिया। श्री अखिलेश यादव पर ही सबका भरोसा है। सन् 2022 में समाजवादी सरकार बनाने और भाजपा को हराने के लिए सभी संकल्पबद्ध हैं क्योंकि यह एक ध्रुवसत्य है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में ही गांव-खेती के लिए 75 प्रतिशत धनराशि बजट में रखी गई थी। किसानों को बिजली में रियायत के साथ मुफ्त सिंचाई सुविधा भी मिली थीं जनता अब उसी शुभ दिन 2022 का इंतजार कर रही है जब श्री अखिलेश यादव के हाथों में प्रदेश की बागडोर होगी।
सरदार पटेल के आदर्शों को जीवंत रखने के लिए हम सभी को देश की एकता, अखण्डता और सामाजिक सौहार्द को सशक्त करने का संकल्प लेना चाहिए। अन्नदाता के चेहरे पर मुस्कान लाने और खेत-खलिहान की खुशहाली के लिये उत्तर प्रदेश में श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व की सरकार बेहद जरूरी है। लौह पुरुष के सपनों का भारत बनाने के लिये समाजवादी धारा के यशस्वी नायक श्री अखिलेश यादव पूरी निष्ठा और ईमानदारी से राजनीति को जनपक्षधर बनाने के लिए समर्पित एवं प्रतिबद्ध हैं।
 (राजेन्द्र चौधरी, पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं राष्ट्रीय सचिव समाजवादी पार्टी)  

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