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लॉकडाउन के बाद अभ्यास के लिए लौटने पर भारतीय तीरंदाज अपनी गति वापस पाने की कोशिश में, व्यवस्थाओं से संतुष्ट

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कोरोनावायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन के बाद भारत के ओलंपिक उम्मीदों पर विशेष जोर देने के लिए देश भर में खेल सुविधाएं खोल दी गई हैं। भारत के पुरुष और महिला तीरंदाज पुणे स्थित सैन्य खेल संस्थान में प्रशिक्षण ले रहे हैं। तीरंदाजी टीम के लिए शिविर 25 अगस्त को शुरू हुआ और तीरंदाज फिर से प्रशिक्षण पाकर बहुत खुश हैं।

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इस साल की शुरुआत में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानि​त किए गए अतनु दास ने कहा, “प्रशिक्षण के लिए लौटने के बाद पहले कुछ दिनों तक यह मुश्किल था क्योंकि लॉकडाउन लगाए जाने से पहले हम मार्च में बहुत तीव्रता से प्रशिक्षण ले रहे थे। प्रशिक्षण के बीच यह सबसे लंबा अंतराल था जो मैंने इससे पहले कभी नहीं लिया था।”

प्रशिक्षण अभी भी प्रारंभिक चरणों में है, जिसमें कुछ एथलीटों ने अपना क्वारांटाइन हाल ही में खत्म किया है। कोच माझी सवाइयां ने कहा कि इस समय सामान्य फिटनेस अधिक प्राथमिकता है, “खिलाड़ी धीरे-धीरे क्वारांटाइन से बाहर आ रहे हैं। हम मजबूती और धैर्य पर जोर देने के साथ सामान्य फिटनेस पर काम कर रहे हैं। मानसिक पहलू पर काम करने के लिए एथलीट योग और ध्यान कर रहे हैं।”

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एएसआई द्वारा कोरोना वायरस को रोकने के लिए अपनाये गए सुरक्षा प्रोटोकॉल और अन्य एहतियाती उपायों से तीरंदाज खुश हैं और वे कहते हैं कि यहां का माहौल पूरी तरह से सुरक्षित है। दुनिया की पूर्व नंबर 1 महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी ने कहा, “यहां की व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं। यहां साफ-सफाई है और भोजन की व्यवस्था अच्छी है। यहां हमारा बहुत अच्छी तरीके से ध्यान रखा जा रहा है।”

तीरंदाजी जैसे मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण खेल में, नए सुरक्षा प्रोटोकॉल में अभ्यस्त होने में उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन तीरंदाजों को भरोसा है कि इससे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा और कुछ महीनों के प्रशिक्षण से उन्हें अपनी पुरानी गति पाने में मदद मिलेगी।

पुरुषों की रिकर्व टीम और दीपिका ने ओलंपिक के लिए कोटा स्पॉट अर्जित किया है जो जुलाई-अगस्त 2021 में आयोजित किया जाएगा। महिलाओं की रिकर्व टीम को अगले साल होने वाले वर्ल्ड क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने का अंतिम अवसर मिलेगा।

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