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सत्यजीत रे कभी संवाद याद करने के लिए नहीं कहते थे : शर्मिला टैगोर

मनोरंजन

दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर का कहना है कि दिवंगत दिग्गज फिल्मकार सत्जीत रे ने कभी भी बाल कलाकारों से संवाद याद करने के लिए नहीं कहा। अभिनेत्री ने फिल्मकार की 1959 में आई फिल्म ‘अपुर संसार’ से 13 वर्ष की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी। शर्मिला मंगलवार को यहां सत्यजीत पर एक प्रदर्शनी व सम्मेलन ‘रीविजटिंग’ के उद्घाटन के सिलसिले में नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय में मौजूद थीं।

इस मौके पर शर्मिला (73) ने कहा, “मैंने 13 साल की उम्र में काम शुरू कर दिया था और उन्होंने कभी भी हमें ज्यादा निर्देश नहीं दिए। मुझे पटकथा दी जाती थी, लेकिन कभी भी मुझे संवाद याद करने के लिए नहीं कहा गया। वह आपके करीब आकर कान में धीरे से बताते थे कि आपको क्या करना है और फौरन ही हम उनकी करिश्माई आभा के प्रभाव में होते थे। उनके साथ हम कभी भी नर्वस महसूस नहीं करते थे।”

उन्होंने कहा, “वह स्पष्ट निर्देश देते थे। उनकी बातों का अनुसरण करना बहुत आसान होता था। वह किसी बच्चे के साथ बच्चे जैसा व्यवहार नहीं करते थे।”

रे की पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ ने 1956 में कान्स फिल्म महोत्सव में बेस्ट ह्यूमन डॉक्युमेंट अवार्ड जीतने के साथ ही 11 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे।

रे ने पटकथा लिखने, कलाकार चुनने, गीत तैयार करने और संपादन का काम किया और फिल्मों के लिए अपना क्रेडिट टाइटल और प्रचार सामग्री डिजाइन किया।

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