नई दिल्ली: केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद येस्सो नाईक में एक आयुर्वेदिक स्वामित्व औषधि ‘एलिक्सीर फॉर लाइफ (जीवन के लिए अमृत)’ लॉंच किया। इस अवसर पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम राज्य मंत्री श्री गिरिराज सिंह विशेष अतिथि थे। इस उत्पाद का निर्माण 2014-15 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रारंभ अनुसूचित जाति (एससी) उद्यमियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड योजना के एक लाभार्थी ने किया है। लाभार्थी मेसर्स मल्लुर फ्लोरा एवं हॉस्पिटलिटी लिमिटेड, नम्बर-11, आरबीआई कॉलोनी, बेंगलुरु का वित्त पोषण सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार (आईएफसीआई) एवं कर्नाटक सरकार के कल्याण विभाग (केएफएससी) द्वारा किया गया है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 2014-15 में अनुसूचित जाति (एससी) उद्यमियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड योजना लॉंच की थी। अब तक इस योजना से अनुसूचित जाति के 50 उद्यमी लाभान्वित हो चुके हैं। इस योजना ने उद्यमियों को आर्थिक अधिकारिता अर्जित करने में मदद की है।
अनुसूचित जाति (एससी) उद्यमियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड योजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
1. यह भारत में अनुसूचित जाति जनसंख्या के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित होने वाली एक सामाजिक क्षेत्र पहल है।
2. अनुसूचित जाति, जो नव प्रवर्तन एवं विकास प्रौद्योगिकियों की दिशा में उन्मुख हैं, के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना।
3. अनुसूचित जाति के उद्यमियों को रियायती दर पर वित्त उपलब्ध कराना, जो समाज के लिए संपदा एवं मूल्य का सृजन करेंगे तथा इसके साथ-साथ लाभप्रद व्यवसाय को भी बढ़ावा देंगे। इस प्रकार सृजित परिसंपत्तियां अग्रगामी/पश्चगामी संपर्क का भी निर्माण करेंगी। यह आसपास के स्थान में श्रृंखला प्रभाव का निर्माण करेगी।
4. अनुसूचित जाति के उद्यमियों के लिए वित्तीय समावेश बढ़ाना एवं उन्हें अनुसूचित जाति समुदायों के और विकास के लिए प्रोत्साहित करना।
5. अनुसूचित जाति के उद्यमियों का आर्थिक विकास करना।
6. भारत में अनुसूचित जाति की आबादी के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन को बढ़ाना।
अनुमानित अनुसूचित जाति उद्यमी जनसंख्या
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जाति की आबादी 20.13 करोड़ है, जो कि देश की कुल आबादी का 16.62 प्रतिशत है। हमारे देश जैसी विशाल अर्थव्यवस्था में ऐसी योजनाओं के लिए विशाल संभावना है जिनसे अनुसूचित जाति के लोग संपन्न बन सकते हैं और मुख्य धारा में जुड़ने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि अनुसूचित जाति के उद्यमियों की रूपरेखा पर कोई विश्वस्नीय आंकड़ा उपलब्ध नहीं है फिर भी दलित भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (डीआईसीसीआई) आदि जैसे विभिन्न हितधारकों के मोटे आकलनों के अनुसार लगभग 1000 दलित उद्यमी हैं, जिनका संयुक्त टर्नओवर 60,000 करोड़ रुपये है। 10 करोड़ रुपये या इससे अधिक की टर्नओवर वाली लगभग 50 कंपनियां हैं। ऐसी कंपनियों को रियायतपूर्ण वित्त उपलब्ध कराने की भारी मांग है जो ऐसे व्यवसायों एवं ऐसे उद्यमियों का उत्थान कर सकती है।