नई दिल्ली: जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) के दो साल सफलतापूर्वक पूरे होने के अवसर पर 25 जून से लेकर 29 जून, 2018 तक आयोजित किये जा रहे वर्तमान ‘दिशा’ सप्ताह के अंतर्गत केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विशेष सचिवों के साथ विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श किया। इस दौरान दिशा पहल से संबंधित विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। इसके साथ ही दिशा पहल को सहभागितापूर्ण गवर्नेंस का एक प्रभावशाली एवं प्रमुख साधन बनाने के तौर-तरीकों पर भी इस दौरान विचार-विमर्श किया गया। ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री रामकृपाल यादव ने भी इस बैठक में अपने विचार साझा किये।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने दिंदोरी, जोधपुर, जशपुर, सीकर, जालौन, जबलपुर और संभल जिलों में दिशा समिति की जिला स्तरीय बैठक के दौरान सात सांसदों के साथ सीधा संवाद किया। बैठक के दौरान केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने सामंजस्य एजेंडे को ध्यान में रखते हुए इन समितियों की वृद्धिपरक प्रभावकारिता पर भी चर्चा की। श्री तोमर ने 36 राज्य ग्रामीण विकास विभाग सचिवों के साथ भी संवाद किया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों की विभिन्न योजनाओं में सामंजस्य स्थापित करने पर जोर दिया। इस दौरान दिशा बैठकों के नियमित आयोजन की दिशा में उल्लेखनीय योगदान के लिए छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मिजोरम और उत्तराखंड को प्रशस्ति पुरस्कार दिये गए।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं को समयबद्ध ढंग से क्रियान्वित किया जाना चाहिए और इस तरह की योजनाओं पर जो धनराशि खर्च की जाती है उसे जमीनी स्तर पर नजर आने वाली प्रगति के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी शुरू से ही लोगों के जेहन में सरकार के प्रति बनी धारणा को बदलना चाहते थे और ‘दिशा’ इस मामले में एक कारगर साधन एवं कदम है। श्री तोमर ने कहा कि इस योजना की नींव श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा डाली गई थी और इसे बेहतर करते हुए ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं की निगरानी से इतर कार्य भी सौंपे गए हैं तथा इसका दायरा बढ़ाते हुए सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की अन्य प्रमुख योजनाओं को भी इसमें शामिल कर दिया गया है।
श्री तोमर ने दिशा पहल की सराहना करते हुए कहा कि मंत्रालय की 42 योजनाओं से संबंधित डेटा एक ही नजर में उपलब्ध है, अतः इससे यह पता लगाना आसान हो गया है कि योजनावार कौन-कौन से जिले पीछे चल रहे हैं और फिर उसी के अनुसार सुधारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने सभी सांसदों और अन्य प्रतिनिधियों से अपनी भागीदारी के साथ-साथ बैठकों की संख्या बढ़ाने का भी अनुरोध किया, ताकि योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके और इसके साथ ही उन योजनाओं पर फोकस किया जा सके जो समय से पीछे चल रही हैं। उन्होंने यह सुझाव दिया कि बैठकों की संख्या को भी दिशा पुरस्कारों का एक पैमाना बनाया जाना चाहिए। ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री राम कृपाल यादव ने कहा कि इस सरकार का एजेंडा गांव, गरीब एवं किसान को लाभान्वित करना है और सरकार के समस्त प्रयास इसी दिशा में केंद्रित हैं। श्री यादव ने कहा कि भारत की 70 प्रतिशत गांवों में रहती है, अतः भारत की प्रगति वास्तव में गांवों की प्रगति पर निर्भर करती है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न स्तरों पर सरकार की विभिन्न योजनाओं की प्रगति की निगरानी करने की दृष्टि से ‘दिशा’ एक प्रभावशाली साधन है।
इस अवसर पर राज्य स्तरीय दिशा-निर्देश जारी किए गए जिससे संबंधित मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में राज्य दिशा समितियों के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया। जिला समितियों से संबंधित दिशा-निर्देशों को भी बेहतर करने के साथ उन्हें जारी किया गया। राज्य दिशा समितियों के गठन का उद्देश्य विशेषकर केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के तहत खर्च की गई सार्वजनिक धनराशि को अनुकूल बनाने के संदर्भ में व्यय की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। केंद्रीय मंत्री ने कागज रहित (पेपरलेस) बैठक के संपूर्ण समाधान के उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक ‘मीटिंग मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर’ भी लांच किया। इस सॉफ्टवेयर से बैठक का नोटिस तैयार करने, एजेंडा निर्धारित करने, सदस्यों के साथ संचार करने, एजेंडा एवं बैठक के विवरण को प्रसारित करने इत्यादि में मदद मिलेगी। इसके साथ ही ‘दिशा’ पर एक ई-बुक का भी विमोचन किया गया, जिसमें दिशा पहल की पृष्ठभूमि, सीखने संबंधी अनुभव, दिशा डैशबोर्ड की आवश्यकताएं, इसकी विशेषताएं और जिला एवं राज्यस्तरीय दिशा समितियों के दिशा-निर्देश शामिल हैं।
दिशा सप्ताह के दौरान देश भर में 42 योजनाओं की प्रगति की निगरानी के लिए सभी जिलों में सांसदों की अध्यक्षता में ‘दिशा बैठकें’ आयोजित की जा रही हैं। इन बैठकों का सर्वाधिक उल्लेखनीय पहलू आईटी टूल्स का प्रभावकारी उपयोग है, ताकि एजेंडे को और ज्यादा ध्यान केंद्रित एवं परिणाम उन्मुख किया जा सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सृजित किए गए अत्याधुनिक वन स्टॉप –‘दिशा डैशबोर्ड’ की डिजाइनिंग कुछ इस तरह से की गई है जिससे कि डेटा आधारित निर्णय लिये जा सकें। 9 मंत्रालयों की 18 योजनाओं से जुड़े वास्तविक समय वाले डेटा को डैशबोर्ड के साथ एकीकृत किया जा चुका है, जबकि 8 मंत्रालयों की 12 अन्य योजनाओं को एकीकृत करने की प्रक्रिया अभी जारी है। सभी सांसदों को वन टाइम पासवर्ड अथवा ओटीपी उपलब्ध कराये जा रहे हैं, ताकि इस तरह के महत्वपूर्ण डेटा संकेतकों का दुरुपयोग रोकना सुनिश्चित किया जा सके।