14.5 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

कोरोना के चलते लंबे समय बाद खुले स्कूल, क्लासरूम में चहकने लगे बच्चे, फिर जीवंत हुए स्कूलों के प्रांगण

उत्तराखंड

कोरोना संक्रमण के चलते सबसे ज्यादा असर स्कूली शिक्षा पर पड़ा। करीब दो साल तक स्कूलों के खुलने और क्लासरूम में बैठकर पढ़ाई करने का इंतजार कर रहे छात्रों के चेहरे पहले की तरह फिर चहकने लगे हैं। कोरोना से सामान्य हो रही स्थिति से स्कूल छात्रों से गुलजार और जीवंत होने लगे हैं। हालांकि मास्क और सेनेटाइजर का प्रयोग शिक्षकों और छात्रों की आदत बन गई है।

स्कूलों में इन दिनों बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं, लेकिन दोस्तों के साथ स्कूल में ज्यादा समय बिताने का मौका छात्रों को नहीं मिल रहा है। कोरोना की रोकथाम के लिए लगाए गए लंबे लॉकडाउन के बाद शासन की ओर से प्रदेश में बीती सात फरवरी से कक्षा एक से नौवीं तक के बच्चों के लिए स्कूल खोलने के आदेश दिए थे, जबकि 10वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए स्कूलों को पहले ही खोल दिया गया था।

कक्षा में मास्क की अनिवार्यता के साथ सोशल डिस्टेंस पर भी ध्यान
ऐसे में अब स्कूलों में सुबह-सुबह बच्चे पहुंचने लगे हैं। वहीं ऑनलाइन क्लासेज से बच्चे एवं अभिभावकों को भी निजात मिल गई है। राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) के प्रधानाचार्य अमित शर्मा ने कहा कोरोना के बाद स्कूल में बच्चों की पढ़ाई कराने में परिवर्तन आया है। कक्षा में मास्क की अनिवार्यता के साथ सोशल डिस्टेंस पर भी ध्यान रखा जा रहा है, जो कोरोना से पहले कभी किया नहीं।

इतना ही नहीं स्कूल में बच्चों के प्रवेश से पहले थर्मल स्क्रीनिंग के साथ हाथ भी सेनेटाइज कराए जा रहे हैं। शुरूआती दिनों में तो बच्चों और शिक्षकों को थोड़ी परेशानी का सामना करना लेकिन अब शिक्षकों और छात्रों को इन सब की आदत हो गई है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ के प्रधानाचार्य अरविंद सोलंकी ने बताया कि कोरोना के बाद स्कूल संचालन में कुछ बदलाव किए गए हैं।

कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के साथ शिक्षकों को भी आधुनिक तकनीक का ज्ञान दिया जा रहा है। जिससे ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान शिक्षकों को परेशानी का सामना न करना पड़े। जबकि बच्चों में अपने- अपने पुराने दोस्तों से मिलने तथा नए दोस्त बनाने को लेकर काफी उत्साह भी देखने को मिल रहा है। उधर ऑनलाइन क्लासेज से निजात मिलने से अभिभावक भी खुश हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चे मोबाइल में पढ़ाई के नाम पर सिर्फ कार्टून और गेम खेलते रहते थे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More