लखनऊ: प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री नारद राय ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी को अपनाकर कृषि की पैदावार को बढ़ाने के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति को भी अक्षुण्ण रखा जा सकता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री आज बाॅयोटेक नेटवर्किंग फैसिलिटी सेन्टर, बक्शी का तालाब का निरीक्षण के दौरान ये विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि जैविक खाद के अन्तर्गत बी0जी0ए0 नील हरित शैवाल व वर्मी कम्पोस्ट को खेती में प्रयोग करना चाहिए। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की संयुक्त निदेशक श्रीमती हुमा मुस्तफा ने बताया कि नील हरित शैवाल परिषद द्वारा किसानों को मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है, इससे खर-पतवार भी नहीं उगने देती है। इस खाद के प्रयोग से धान की खेती में 10 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने श्री राय को बताया कि एजोला एक तरह का पौधा होता है, जो जानवरों के चारे में डालकर दुधारू पशुओं को खिलाने से दुग्ध उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज की गई है। बागवानी में वर्मी कम्पोस्ट का अच्छा प्रयोग देखने को मिला है।
श्री राय ने टिशू कल्चर से केले उत्पादन में संस्थान द्वारा किए गये प्रयासों की सराहना की। इस सीजन में करीब 10 से 11 लाख केले के पौधे की बिक्री की गई। सीड प्रसंस्करण के माध्यम से साक, सब्जी में भी बेहतर परिणाम देखने को मिले। उन्होंने निरीक्षण के दौरान साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक डाॅ0 एम0के0जे0 सिद्दीकी, संयुक्त निदेशक श्री एस0एम0 प्रसाद सहित विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।