नई दिल्ली: कोविड-19 के द्वारा देश में एक घातीय दर पर आघात होने का डर व्याप्त है, देश के वैज्ञानिक और इंजीनियर इस महामारी के सभी पहलुओं को समझने के लिए एक अनूठे स्तर पर सहयोग कर रहे हैं।
इसमें शामिल विषयों में नावल करोनावायरस (सार्स-कोवी-2) का शुद्ध व्यवहार से लेकर कोरोना फ्लू की संचरण गतिशीलता, इसके खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाना, इसका डाइअग्नास्टिक्स, अभिनव प्रौद्योगिकी, मुकाबला करने के लिए शारीरिक दूरी के मायने, और संचार के महत्वपूर्ण आकलन शामिल हैं।
सार्वजनिक डोमेन में इस महामारी के वैज्ञानिक और तथ्यात्मक पहलुओं को लाने के लिए, ‘कोविडज्ञान’ नामक एक बहु-संस्थागत, बहुभाषी विज्ञान संचार पहल का निर्माण किया गया है।
ये पहल, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) और टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) के मौलिक विचार है। इस महान प्रयास में कई अन्य प्रमुख सहयोगी शामिल हो चुके हैं, जैसे कि विज्ञान प्रसार, इंडिया बायोसाइंस और बैंगलोर लाइफ साइंस क्लस्टर (बीएलआईएससी), जिसमें इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल साइंस एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन (इंस्टेम), सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफ़ॉर्म (सी-कैम्प) और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) भी शामिल हैं।
इस पहल का एक नतीजा एक वेबसाइट का शुभारंभ है, जिसे 03 अप्रैल, 2020 को लाइव किया गया है। कोविडज्ञान नामक यह वेबसाइट कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए संसाधनों के संग्रह को एक साथ लाने में एक हब के रूप में भी काम करता है। ये संसाधन, भारत में जन समर्थित अनुसंधान संस्थानों और संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से उत्पन्न होते हैं। यहां से प्राप्त सामग्री, रोग और इसके संचरण की सर्वोत्तम उपलब्ध वैज्ञानिक समझ पर निर्भर करती है।
सूचना का एक प्रामाणिक स्रोत होने के अलावा, इस वेबसाइट का प्रारंभिक उद्देश्य जन जागरूकता उत्पन्न करना और इस बीमारी के लिए समझ और इसको कम करने के लिए संभावित साधनों के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना है। इसके अलावा, यह कोविड-19 के संबंध में सूचनाओं के भंडार के रूप में सहायता भी करेगा। इसे ‘सही जानकारी’ प्रदान करने के लिए बहुआयामी पहलुओं के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिसमें प्रख्यात वैज्ञानिकों के साथ ऑडियो/ पॉडकास्ट प्रारूपों, इन्फोग्राफिक्स, पोस्टर, वीडियो, एफएक्यू और मिथबुस्टर के माध्यम से बातचीत और यहां तक कि वैज्ञानिक पत्रों के लिंक को भी शामिल किया गया है।
वेबसाइट की फोटो
जानकारी से परिपूर्ण यह वेबसाइट न सिर्फ उपयोगकर्ता के लिए अनुकूल नहीं है बल्कि प्रामाणिक, विश्वसनीय और भरोसेमंद भी है। इसके लॉन्च के बाद से, वैज्ञानिक समुदाय द्वारा इसको फेसबुक और ट्विटर जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के माध्यम से व्यापक रूप से शेयर किया गया है। इसे और ज्यादा बहुमुखी बनाने के लिए इसमें कई भारतीय भाषाओं में सामग्रियां उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
वेबसाइट की आईडी है: https://covid-gyan.in
इस बीच, एक अन्य अनोखे पहल के रूप में, बेंगलुरु स्थित दो प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों के छात्र वालंटियरों- स्टेम सेल साइंस एंड रिजेनरेटिव मेडिसिन (इंस्टेम) और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) – ने कोविड-19 महामारी को लेकर भय और चिंताओं को दूर करने के लिए अपने परिसरों में कई आंतरिक संचार चैनलों और सहायता समूहों की स्थापना की है।
इन सुविधाओं में कैंपस ईमेल सहायता केंद्र, कैंपस संदेश सेवा, फोन हेल्पलाइन और सहकर्मी सहायता लाइन शामिल हैं, जिनका आने वाले वर्षों में भी कैंपस में बने रहने की संभावना है। लॉकडाउन के दौरान छात्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए, युवा शोधकर्ताओं के समूह द्वारा विभिन्न स्वयंसेवक समूहों की स्थापना की गई है, साथ ही साथ, विभिन्न अल्पकालिक और दीर्घकालिक वैज्ञानिक चुनौतियों के साथ, विशिष्ट अनुसंधान/ प्रोग्रामिंग/ डिजाइन कौशल की प्राप्ति के लिए भी सतत प्रयास किया जा रहा है।
(संपर्क व्यक्ति- संपर्क कार्यालय, बैंगलोर लाइफ साइंस क्लस्टर
अमृता त्रिपाठी: tripathya@instem.res.in
माहिन अली खान: mahinnak@ccamp.res.in)