नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के चलते विशेषकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार किए जाने की आवश्यकता महसूस की गई। हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग बढ़ने के मद्देनजर पोर्टेबल अस्पताल को एक समाधान के तौर पर देखा गया, जहां कोरोना मरीजों की पहचान, स्क्रीनिंग, आइसोलेट और उनके इलाज का इंतजाम किया जा सकता है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत स्वायत्त संस्थान श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) और आईआईटी मद्रास ‘मोडुलस हाउसिंग’ एक समाधान के तौर पर लेकर आए हैं। इसमें पोर्टेबल माइक्रोस्ट्रक्चर के माध्यम से स्थानीय समुदायों में कोविड-19 के मरीजों का पता लगाने, प्रबंधन और उपचार के लिए विकेंद्रीकृत अप्रोच के साथ समाधान मुहैया कराया जा सकेगा।
एससीटीआईएमएसटी के वैज्ञानिक श्री सुभाष एनएन और श्री मुरलीधरन सीवी के साथ-साथ मोडुलस हाउसिंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीराम रविचंद्रन सहित उनके सहयोगियों ने पोर्टेबल माइक्रोस्ट्रक्चर को विकसित किया है, जिसका नाम “मेडीकैब (MediCAB)” दिया गया है। इस मॉड्यूलर, पोर्टेबल, टिकाऊ और सुलभ सेट अप को ग्राहक की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया जा सकता है। यह फोल्डेबल है और इसे हिस्सों में बनाया गया है जिसमें डॉक्टर्स के लिए कमरा, एक आइसोलेशन रूम, एक मेडिकल रूम/वार्ड और दो बेड वाला आईसीयू कमरा तैयार किया गया है। इसे आसानी से कहीं भी ले आया, ले जाया जा सकता है और साथ ही महज चार लोगों की मदद से इस ढांचे को दो घंटे में ही तैयार किया जा सकता है। मेडीकैब में केबिन पूरी तरह सील और डस्ट प्रूफ हैं। इसमें इलेक्ट्रिकल्स की सुविधा भी पहले से ही इनबिल्ट है जिसे सिर्फ किसी पल्ग में जोड़ कर बिजली के उपकरणों को संचालित किया जा सकता है। मेडीकैब खराब मौसम के साथ-साथ भारी बारिश में भी उपयोगी है।
यह प्रीफेब्रिकेशन मॉड्यूलर टेक्नोलॉजी से और टेलीस्कॉपिक फ्रेम से लैस है जिससे इसे अपने आकार से 1/5 गुना कम किया जा सकता है। इसकी वजह से इसके ट्रांस्पोर्टेशन और भंडारण में सहूलियत होगी। पोर्टेबल घर का यह ढांचा 200,400 और 800 वर्गफीट में उपलब्ध है। इन ढांचों को आवश्यकता और जगह की उपलब्धता के अनुसार कार पार्किंग, अस्पताल की छत पर कहीं भी खड़ा किया जा सकता है।
अब तक चेंगलपेट, चेन्नई में सुगा एचहेल्थकॉर्प प्राइवेट कॉर्पोरेशन में 34 लाख रुपये की लागत से 30 बेड का अस्पताल बनाया गया है। दूसरा 12 बेड का अस्पताल केरल के वायनाड में सरकारी संस्थान प्राइमरी हेल्थ केयर वाराडूर में बना है जिसकी लागत 16 लाख रुपये आई है।
मॉड्यूलस हाउसिंग टीम का कहना है कि यह ड्यूल डिजाइन के आधार पर काम करता है जिससे इन मोबाइल हॉस्पिटल्स को कोविड-19 आइसोलेशन के तौर पक फौरन लॉन्च किया जा सकता है। मॉड्यूलस हाउसिंग ने बाढ़ के दौरान एलएंडटी, टाटा ग्रुप और शापूरजी, सेल्को जैसे क्षेत्रों में प्रतिष्ठित ग्राहकों को आपातकालीन आवास समाधान मुहैया कराए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने अपने सोशल मीडिया मंच पर भी इसके बारे में जानकारी साझा की।
डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बताया,“महामारी, आपदा और भविष्य में कभी आपात स्थिति में आवश्यकता पड़ने पर फोल्डेबल, पोर्टेबल, प्री-फेब अस्पताल ढांचे को फौरन तैयार किया जा सकता है।”