नई दिल्ली: मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए होने वाली काउंसलिंग में सफल छात्रों को सोच-समझकर सीट सुरक्षित (लॉक) करनी चाहिए। क्योंकि दूसरे चरण के काउंसलिंग में ऐसे छात्रों को मौका नहीं मिलेगा, जिन्होंने पहले ही सीट लॉक कर दी है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला देते हुए एक डॉक्टर की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने सुपर स्पेशिलिटी पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए दूसरे चरण की काउंसलिंग में शामिल होने की अनुमति मांगी थी।
जस्टिस रेखा पल्ली ने पिछले सप्ताह अपने फैसले में कहा है कि पहले चरण की काउंसलिंग में सीट लॉक करने वाले आवेदकों को अगली काउंसलिंग में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि ‘एक बार सीट लॉक करने यानी दाखिला ले लेने के बाद दूसरे या तीसरे चरण की काउंसलिंग में शामिल होने की अनुमति दी जाती है तो इससे पहले की सीटें बर्बाद होती हैं। जबकि पीजी व सुपर स्पेशिलिटी पाठ्यक्रम की सीटें पहले से ही काफी कम हैं। इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इससे कुछ योग्य आवेदक दाखिले से वंचित रह जाते हैं।