नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने आज कर्नाटक सरकार द्वारा ए.पी.एम.सी. में शुरु की गई इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की लाइव फंक्शनिंग को देखने के लिए हुबली में 23 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से आए मंत्रियों के स्टडी टूर को सम्बोधित किया। श्री सिंह ने कहा कि “हम एक राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ की गई बेस्ट प्रैक्टिस को सीखने और अन्य राज्यों के साथ शेयर करने के उद्देश्य से यहां आए हैं। यह विजिट हमारी कोपरेटिव फेडरेलिज्म की भावना को दर्शाती है तथा दूसरी हरित क्रान्ति केवल मार्केटिंग रिवोल्यूशन से ही संभव हो सकती है ।”केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह का पूरा भाषण निम्न रूप में हैं:
“आज, इस अवसर पर 23 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से आए महानुभावों का स्वागत करते हुए मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है । आपकी ओर से प्राप्त प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि किसान को प्रोत्साहित करने तथा उसकी मदद करने में कृषि विपणन के महत्व को हम सभी स्वीकार करते हैं । इससे इस सेक्टर को ट्रांसफार्म करने के लिए आधुकनिकतम टेक्नोलॉजी एडाप्ट करने की हमारी तत्परता और उमंग भी परिलक्षित होती है । मैं माननीय मंत्रियों का स्वागत करना चाहूंगा ।
कर्नाटक सरकार द्वारा ए.पी.एम.सी. में शुरु की गई इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की लाइव फंक्शनिंग को देखने के लिए हुबली में आने पर मैं आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं और इस विजिट को संभव बनाने में कर्नाटक सरकार के सहयोग और कोर्डिनेशन के लिए मैं उनका अत्यधिक आभार प्रकट करता हूं ।
वास्तव में यह एक ऐतिहासिक अवसर है जब हम एक राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ की गई बेस्ट प्रैक्टिस को सीखने और अन्य राज्यों के साथ शेयर करने के उद्देश्य से यहां आए हैं । यह विजिट हमारी कोपरेटिव फेडरेलिज्म की भावना को दर्शाती है ।आपको विदित ही है कि कैबिनेट ने नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट की स्थापना के लिए पिछले सप्ताह ही अपनी मंजूरी दी है और मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि हम उक्त निर्णय के फालो-अप के रुप में इतने कम समय में इस विजिट को अरेंज करने में सफल हुए हैं और इसमें कर्नाटक सरकार का बहुत अधिक सहयोग रहा है ।
हम सभी इस बात से सहमत हैं कि भारत में किसानों, ट्रेडिंग कम्यूनिटी तथा उपभोक्ताओं के व्यापक लाभ के लिए एग्रीकल्चर मार्केट को माडर्नाइज और रिफार्म किए जाने की आवश्यकता है । भारत में अनेक देशों की अपेक्षा अकुशल और पुरानी मार्केटिंग प्रैक्टिस की वजह से कृषि उपज का बहुत बड़ा हिस्सा वेस्ट हो जाता है । हमारा मानना है कि कृषि मार्केटिंग प्रैक्टिस को रिफार्म किए बिना हम किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य नहीं दिलवा सकेंगे जिससे किसान हायर प्रोडक्टिविटी और प्रोडक्शन के लिए टैक्नालॉजी में निवेश करने हेतु मिलने वाले इन्सेंटिव से भी वंचित रह जाएगा ।दूसरी हरित क्रान्ति केवल मार्केटिंग रिवोल्यूशन से ही संभव हो सकती है ।
नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट की कल्पना अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल के रुप में की गई है जिसका उद्देश्य कृषि जिन्सों के लिए यूनिफाइड नेशनल मार्केट तैयार करने हेतु मौजूदा ए.पी.एम.सी. और अन्य मार्केट यार्डों का नेटवर्क तैयार करना है । एन.ए.एम. एक “वर्चुअल” मार्केट है लेकिन इसके बैक एंड पर फिजिकल मार्केट (मंडी) भी है । एक कॉमन ई-प्लेटफार्म स्थापित करके एन.ए.एम. के लक्ष्य को प्राप्त किया जाना प्रस्तावित है और प्रारंभ में राज्यों द्वारा सलेक्टेड 585ए.पी.एम.सी. को इस प्लेटफार्म के साथ लिंक किया जाएगा । केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को साफ्टवेयर नि:शुल्कउपलब्ध कराया जाएगा और इसके अतिरिक्त संबंधित उपकरणों तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए वन-टाइम मेजर के रुप में प्रति मंडी 30 लाखरुपए तक की ग्रांट भी दी जाएगी । यह केवल शुरुआत है और इसके पीछे आइडिया यह है कि राज्यों में इसकी शुरुआतहो ताकि वे ई-प्लेटफार्म से होने वाले लाभों को अनुभव कर सकें और फिर इसे आगे बढ़ाने के लिए स्वयं उत्साहित होकर प्रयास करें । किसानों को सही मायनों में बेहतर मूल्य दिलाने के लिए यह प्रस्ताव रखा गया है कि प्राइवेट मंडियों को भी साफ्टवेयर-एक्सेस उपलब्ध कराई जाए । इसके अतिरिक्त राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे मंडियोंमें सायल टेस्टिंग लेबोरेटरी स्थापित करें ताकि किसानों की समग्र आवश्यकताओं की पूर्ति मंडी में ही हो जाए ।
कृषि जिन्सों के लिए एक कॉमन नेशनल मार्केट विकसित करने के लिए एन.ए.एम. विकसित करना आवश्यक है । मौजूदा ए.पी.एम.सी. रेगुलेटेड मार्केट यार्ड, कृषि जिन्सों की ट्रेडिंग को, लोकल मंडी में बिक्री के फर्स्ट प्वाइंट तक सीमित कर देते हैं । यहां तक कि कोई एक राज्य अपने आप में भी एक यूनिफाइड एग्रीकल्चर मार्केट नहीं है । एक ही राज्य में उपज को एक मार्केट एरिया से किसी दूसरे मार्केट एरिया में ले जानेपर ट्रांजेक्शन लागत आती है । एक ही राज्यमें विभिन्न मार्केट एरिया में व्यापार करने के लिए कई तरह के लाइसेंसों की आवश्यकता होती है । इन सभी कारणों से एग्रीकल्चरल इकोनमी अत्यधिक विखंडित तथा अधिक खर्चीली हो गई है जो स्टेट इकोनमी के लिए तथा कृषि वस्तुओं को एक जिले और राज्य की सीमाओं तक बेरोकटोक ले जाने में व्यवधान पैदा करती हैं । नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट द्वारा मध्यस्थता की लागत, वेस्टेज तथा अंतिम उपभोक्ता के लिए कीमतों को कम करके मार्केट के विखंडन की इस प्रक्रिया से निपटने तथा उसमें बदलाव करने का प्रयास किया गया है । इससे स्थानीय मंडी की स्थिति मजबूत होती है और उसे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपज को ऑफर करने का अवसर मिलता है ।
एन.ए.एम. में सभी स्टेकहोल्डरों के लिए विन-विन साल्यूशन की परिकल्पना की गई है । एन.ए.एम. किसानों को, अपनी निकटतम मंडी में बिक्री के लिए अधिक ऑप्शन उपलब्ध कराता है । मंडी में आने वाले लोकल ट्रेडरके लिए एन.ए.एम. सेकेण्डरी ट्रेडिंग हेतु लार्जर नेशनल मार्केट तक पहुंच का अवसर प्रदान करता है । बल्क बायर्स, प्रोसेसर, एक्सपोर्टर इत्यादि को एन.ए.एम. प्लेटफार्म के माध्यम से लोकल मंडी लेवल की ट्रेडिंग में डायरेक्ट हिस्सा लेने का लाभ मिलता है और इससे उनकी इन्टरमिडिएशन की कॉस्ट में कमी आती है । राज्य की सभी प्रमुख मंडियों को धीरे-धीरे एन.ए.एम. के साथ इंटीग्रेट कर दिए जाने से लाइसेंस जारी करने, फीस की लेवी और उपज के मूवमेंट के लिए कॉमन प्रोसीजर निर्धारित किया जाना सुनिश्चित होगा । आने वाले 5-7 वर्षों की अवधि में हम उम्मीद कर सकते हैं कि किसानों को हायर रिटर्न मिलेगा, खरीदारों के लिए ट्रान्जेक्शन कॉस्ट में कमी आएगी और उपभोक्ताओं को स्थिर मूल्य तथा जिन्सों की उपलब्धता का लाभ मिलेगा । एन.ए.एम. के जरिए देश भर में प्रमुख कृषि जिन्सों की वेल्यू चेन बनने और एग्री-गुडस के साइंटिफिक स्टोरेज तथा मूवमेंट को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी ।
कर्नाटक सरकार ने इस दिशा में तेज़ी से प्रयास किया है जिसे हम सभी सीखना चाहेंगे । स्पेशल परपज वेहिकल (एस.पी.वी.) और कर्नाटक सरकार तथा एन.सी.डी.ई.एक्स., स्पॉट एक्सचेंज मिलिटेड के मध्य ज्वाइंट वेंचर कम्पनी के रुप में राष्ट्रीय ई-मार्केट सर्विसिज प्राइवेट लिमिटेड (आर.ई-एम.एस.) स्थापना करके कर्नाटक राज्य को ई-प्लेटफार्म पर कृषिउपजकी ट्रेडिंग को कार्यान्वित करने में लीड स्थान प्राप्त हो गया है । पिछले एक वर्षमें 55 मंडियों को ई-प्लेटफार्म से लिंक किया गया है और इस प्लेटफार्म के माध्यम से 8500 करोड़ रुपए मूल्य की 343 लाख क्विंटल एग्री-कमोडिटी के 21 लाख लॉट का ट्रेड किया गया है । यूनिफाइड नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट के स्कोप को बेहतर ढंग से समझने के लिए कर्नाटक सरकार के ऐसे प्रयासों का अवश्य ही अध्ययन किया जाना चाहिए ।प्रस्तावित नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट में इस मॉडल की बहुत सी बेस्ट प्रैक्टिस को एडॉप्ट किया जाएगा और अन्य राज्यों के इसी प्रकार के रिफार्म इनीशिएटिव को इसके डिजाइन में इनकॉरपोरेट करने का प्रयास किया जाएगा । जब तक प्रस्तावित नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट का पूर्ण स्वामित्व राज्यों के पास नहीं होगा तब तक इसमें सफलता मिलने की संभावना नहीं है । हम प्रत्येक सुझाव पर ध्यानपूर्वक विचार करने और सभी व्यावहारिक सुझावों को नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट के डिजाइन में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उम्मीद है कि इस कैलेण्डर वर्ष के अंत तक हम इसे लांच कर देंगे ।
मैं इस स्टडी टूर में पुन: आपका अभिनंदन करता हूं और इसे संभव बनाने के लिए कर्नाटक सरकार को धन्यवाद देता हूं । आने वाले सप्ताहों और महीनों में हम अन्य फोरमों के माध्यम से भी कन्सलटेशन की इस प्रक्रिया को जारी रखेंगे ताकि कोपरेटिव फेडरेलिज्म के प्रति हमारी प्रतिबद्धता नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट में स्पष्ट रुप से परिलक्षित हो ।”