नई दिल्ली: इस्पात मंत्रालय ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में किए गए उल्लेखनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए आज पहली बार 26 लघु इस्पात कंपनियों को द्वितीयक इस्पात क्षेत्र पुरस्कार प्रदान किए। ये पुरस्कार नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह के दौरान केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह द्वारा दिए गए। वर्ष 2016-17 के दौरान उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए 12 कंपनियों को स्वर्ण प्रमाण-पत्र दिए गए और इसके साथ ही 14 रजत प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।
इस अवसर पर चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि द्वितीयक इस्पात क्षेत्र देश में कुल इस्पात उत्पादन में आधे से भी अधिक का योगदान करता है। इनकी वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से ही इस पुरस्कार की शुरुआत की गई है। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर एक प्रतिस्पर्धी इस्पात उद्योग का सृजन करने संबंधी भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए द्वितीयक इस्पात क्षेत्र को वर्ष 2030-31 तक 300 मिलियन टन की क्षमता हासिल करने के लिए एकीकृत इस्पात कंपनियों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। मौजूदा समय में भारत की क्षमता 134 एमटी है। इस्पात सचिव श्री बिनय कुमार ने कहा कि इस पुरस्कार से द्वितीयक इस्पात क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन करने के साथ-साथ अपने उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित होगा। उन्होंने कहा कि भारत में इस्पात की खपत प्रति व्यक्ति लगभग 70 किलो के आंकड़े को छू चुकी है।
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