देहरादून: सभी विभागों द्वारा अपने बजट प्रस्तावों के क्रियान्वयन का रोड़मैप 31 जुलाई तक मुख्य सचिव कार्यालय में उपलब्ध करवाना सुनिश्चित किया जाए। औपचारिकताएं पूरा करने में कम से कम समय लिया जाए। सभी विभाग फास्ट ट्रेक पर कार्य में जुट जाएं। राज्य के बजट के पारित होने के बाद इसके क्रियान्वयन को लेकर शनिवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उक्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विभागों के बीच तालमेल बढ़ाए जाने की जरूरत है। तय किया गया कि मुख्य सचिव, प्रत्येक सोमवार व बुधवार को विभिन्न विभागों के वित्त से संबंधित व अन्य अंतर्विभागीय मामलों की समीक्षा कर आवश्यक हल निकालेंगे। इसमें वित्त व संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पिछले चार-पांच माह की देरी से उत्तराखण्ड को हुए नुकसान की यथासम्भव भरपाई की जानी है। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने काम में तेजी लाएं और औपचारिकाताओं को पूरा करने में अनावश्यक समय न लें। वित्त द्वारा विभागों के प्रस्तावों पर स्वीकृतियां एक निश्चित टाईमफे्रम में की जाएं। योजनागत व्यय का एक निश्चित प्रतिशत विभागाध्यक्षों के निर्वतन पर रख दिया जाए। विभागों को चाहिए कि बैंकों में बजट धनराशि की पार्किंग न करें। केंद्र प्रवर्तीत योजनाओं में केंद्रांश मिलने पर राज्यांश की स्वीकृति वित्त विभाग द्वारा अधिकतम 10 दिनों में जारी करने का सरल मैकेनिज्म बनाया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बजट में विभागों की जोे भी स्वीकृतियां हैं उन सभी पर फील्ड में क्रियान्वयन 15 सितम्बर तक प्रारम्भ हो जाना चाहिए। भारी बरसात से विभागों को जो भी नुकसान हुआ है उसका विवरण आगामी दो तीन दिनों में भेजना सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) व डीपीआर के कार्यों पर भी सतत नजर रखने के निर्देश दिए। इनमें किसी तरह की लापरवाही नही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के वरिष्ठ अधिकारी केंद्र के अधिकारियों के लगातार सम्पर्क में रहें और विभिन्न योजनाओं में केंद्रीय सहायता प्राप्त करने के प्रस्ताव प्रेषित करें। विभिन्न योजनाओं की तहसीलों व ब्लाॅक स्तर तक आॅनलाईन निगरानी के लिए एमआईएस बनाया जाए।