देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस वर्ष के लिये लगभग 1000 करोड़ की विशेष सहायता योजना के प्रस्ताव केन्द्र सरकार को प्रेषित करने को कहा है। इसके लिये विभाग अपनी प्राथमिकतायें तय करले, प्रथम चरण में 500 करोड़ के अन्तर्गत उन योजनाओ को सम्मिलित किया जाय जो तात्कालिक महत्व की हो। जबकि 500 करोड़ की योजनाओं को द्वितीय चरण में सम्मिलित करते हुए योजनाओं को चिन्हित कर प्रस्ताव तैयार किये जाय, उन पर यदि इस वर्ष कार्य पूर्ण न होने की दशा में शेष कार्य अगले वर्ष भी हो सकता है।
शनिवार को देर सांय सचिवालय में विशेष सहायता योजना की विभाग वार समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिये कि विशेष सहायता के प्रस्तावों में उन योजनाओं को प्राथमिकता दें जिनके लिये भूमि उपलब्ध होने में कोई कठिनाई न हो। डीपीआर बन गई हो इसके लिये विभाग अपनी पूरी तैयारी करले ताकि योजना स्वीकृत होने पर उस पर अविलम्ब कार्य प्रारम्भ हो जाय, योजना के क्रियान्वयन में विलम्ब होने में उनका अपेक्षित लाभ न मिलना चिन्ताजनक है। उन्होने कहा कि विशेष सहायता के लिये पर्यटन, शिक्षा, खेल, परिवहन, पेयजल, कृषि, लोक निर्माण गृह, सूचना प्रौघोगिकी, सिंचाई, शहरी विकास व आपदा प्रबन्धन आदि जो विभाग इसमें सम्मिलित है वे सभी अपनी प्राथमिकतायें तय करले। इसके लिये विधायको से भी विचार विमर्श कर लिया जाय।
उन्होने योजना के अधीन स्वीकृत कार्यो पर हुए व्यय का उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर उपलब्ध कराये जाने के लिये एसी व्यवस्था करने को कहा जिसमे इसमे समय कम से कम लगे। उन्होने निर्देश दिये कि योजना का प्रस्ताव बनाने के साथ ही उसमी डीपीआर बनाने व टेण्डर तैयार करने की कार्यवाही भी तत्समय ही पूरी कर ली जाए। ताकि योजना स्वीकृत होते ही कार्य आरम्भ हो जाय। वित्त सचिव योजना स्वीकृत आदि से सम्बंधित जानकारी विभागो को भी अवगत करायेंगे। उन्होने कार्यदायी संस्थाओं पर निगरानी रखे जाने पर भी बल दिया। विभागाध्यक्ष इस मामले में व्यक्तिगत ध्यान दे ताकि योजना का क्रियान्वयन समय पर हो। कार्यदायी संस्थाओ का समय पर कार्य पूर्ण न करना उचित नही है, इसके लिये कोई मेकेनिज्म बनाया जाय।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री श्री रावत ने ए0डी0बी0 द्वारा संचालित कार्यो की भी विभागवार समीक्षा। उन्होने एडीबी द्वारा विभिन्न सड़को, पेयजल, सिवरेज नगर विकास से सम्बंधित कार्यो में तेजी लाने को कहा इसके लिये परियोजना प्रबन्धको समय-समय पर स्थलीय निरीक्षण करने तथा निर्माण कार्यो की नियमित समीक्षा करने को कहा।
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