देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखण्ड माटी कला बोर्ड में जिलाधिकारियों को भी सदस्य नामित करने के निर्देश दिये है। उन्होंने कुम्हारों को मिट्टी उपलब्ध कराने के लिये जनपदों में जिलाधिकारियों को मिट्टी क्षेत्र चिन्हित कर उसे कुम्हारों को आवंटित करने के भी निर्देश दिये है। कुम्हारों को अबतक वितरित 350 विद्युत चालित चाकों के अतिरिक्त 100 और चाक उपलब्ध कराये जाय इससे लिय 15 लाख की धनराशि की स्वीकृति भी उन्होंने प्रदान की।
सचिवालय में देर रात उत्तराखण्ड माटी कला बोर्ड की बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हरिद्वार व नैनीताल में माटी कला हाट स्थापित किये जाय। खुर्जा की तर्ज पर यहां भी मिट्टी की कारीगरी अपनी पहचान बनाये इसके प्रयास हो इसके लिये प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाय। उन्होंने प्रदेश में विभिन्न प्रकार की दस्तकारी के कारीगरों व जानकारों को सूचीबद्ध किये जाने पर भी बल दिया। इन कारीगरों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप सहायता प्रदान की जाय।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने माटी कला बोर्ड के सदस्यों से इस प्रकार की दस्तकारी व कारीगरी करने वालों के बारे में स्वयं सोचने व उनकी बेहतरी के लिये कार्य करने को कहा। उन्होंने अन्य प्रदेशों में इस दिशा में की जा रही पहल की भी जानकारी हासिल करने को कहा। राज्य सरकार द्वारा बांस लकड़ी मिट्टी पत्थर क्राफ्ट का कार्य करने वालों को भी 60 साल के बाद पेंशन की सुविधा दी जा रही है। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि कुम्हारों को भट्टी आदि लगाने में कोई कठिनाई ने हो गैस भट्टी आदि लगाने के लिये इन्हें बैकिंग सुविधा उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया जाय। इस प्रकार के कार्याें में संलग्न लोगों को ग्रुप इश्योरेंस की सुविधा व सरकारी संस्थानों में मिट्टी के गमलों की आपूर्ति में प्राथमिकता दिये जाने पर भी ध्यान देने के निर्देश उन्होंने दिये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रदेश में कुम्हारों एवं मिट्टी का कार्य करने वाले कारीगरों को तकनीकी सुविधा, आर्थिक मदद, दक्षता विकास एवं विपणन आदि सुविधा उपलब्ध कराने एवं उनकी समस्याओं के निराकरण के लिये माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है। बोर्ड को इस दिशा में प्रभावी पहल करनी होगी ताकि समाज का हित हो।
बैठक में बोर्ड के उपाध्यक्ष विनीत आर्य व मेलाराम प्रजापति, अपर निदेश उद्योग सुधीर नौटियाल, उपनिदेशक अनुपम द्विवेदी सहित आयोग के सदस्यगण एवं जिलाधिकारी देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर के प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे।
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