नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में 2 अक्टूबर, 2019 को राष्ट्रीय स्वच्छता दिवस के अवसर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से खाद्य तेलों से जैव ईंधन बनाये जाने के बारे में जन जागरूकता अभियान की शुरूआत की गई।
इस अवसर पर मंत्रालय में सचिव एम.एम.कुट्टी ने प्रचार वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया। इन वैनों के जरिये लोगों को इस्तेमाल किये जा चुके खाद्य तेलों से जैव ईंधन बनाने की पहल के बारे में जागरूक बनाने का काम किया जा रहा है। खाद्य तेलों को जैव ईंधन में तब्दील करने की शुरूआत तेल विपणन कंपनियों द्वारा की जा रही है। इस्तेमाल किये जा चुके खाद्य तेल आम तौर पर यूं ही बर्बाद हो जाते है। तेल विपणन कंपनियों ने इनसे जैव ईंधन बनाने का काम शुरू किया है, जोकि स्वच्छ भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। प्रचार वैनों को रवाना किये जाने के मौके पर इंडियन ऑयल कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष संजीव सिंह भी उपस्थित थे।
देश के विभिन्न हिस्सों में ये प्रचार अभियान एक साथ चलाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को खाद्य तेलों के दुष्प्रभावों तथा इन्हें सही तरीके से निपटाने के बारे में बताया जा रहा है। प्रचार वैनों में इससे संबंधित संदेशों वाले पोस्टर लगाए गये है। आने वाले दिनों में देश के करीब 100 शहरों में ये संदेश पहुंचाया जाएगा।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत आने वाली तेल विपणन कंपनियों (आईओसी, बीपीसी और एचपीसी) ने इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेलों से बनाये जाने वाले जैव ईंधनों की देश भर के 100 शहरों में आपूर्ति के लिए इच्छुक पक्षों से विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर 10 अगस्त, 2019 को इच्छा–पत्र मंगाए है। इससे संबंधित जानकारी https://bpcleproc.in/EPROC/ वेबसाइट पर उपलब्ध है। इच्छा-पत्र के अनुसार जैव ईंधन बनाने की इस पहल के इच्छुक उद्यमियों को तेल कंपनियों की ओर से संयंत्र लगाने और उत्पादों की कीमत के संबंध में कुछ रियायतें दी जाएगी।
इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है। बार-बार इनका इस्तेमाल किये जाने से इसमें टोटल पोलर कम्पाउंड्स (टीपीसी) जैसा विषैला तत्व बनने लगता है, जिससे उक्त रक्तचाप, अल्जाइमर, मोटापा तथा यकृत संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए तलने के दौरान वनस्पति तेलों की गुणवत्ता को परखना जरूरी है। इस्तेमाल हो चुके तेल को सही तरीके से निपटाया नहीं गया, तो पर्यावरण को इससे काफी नुकसान हो सकता है। उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य तेलों में टीपीसी की अधिकतम सीमा 25 प्रतिशत तय की है। टीपीसी की सीमा इससे अधिक होने पर खाद्य तेल खानेलायक नहीं माने गये है।
नई पहल के तहत ऐसी सुविधा दी गई है कि उपभोक्ता इस्तेमाल किये जा चुके तेल इन्हें अधिकारिक रूप से भंडारण करने वालों को दे सकेंगे, जो आगे इसे जैव ईंधन बनाने वालों के पास भेजेंगे। जैव ईंधन बनाने के लिए इनमें डीजल मिलाया जाएगा। इस्तेमाल हो चुके तेल का अधिकारिक रूप से भंडारण करने वालों की सूची एफएसएसएआई की वेबसाइट https://fssai.gov.in/ruco/collection-point.php पर उपलब्ध है।